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7.
त समयावो एव साधु किंति मंत्रमंत्रास घमं स्र ुणारु च सुसु सेर च । एवं हि देवानंपियस इछा किंति सवपासंडा बहुश्रुता च असु कलाणागमा च असु ।
8.
ये च तत्र तते प्रसंना तेहि वतव्यं - देवानंपियो नो तथा दानं व पूजां व मंत्रते यथा किंति सारवढी अस सर्वपाखंडानं ।
9. बहुका च एताय ग्रथा व्यापता घममहामाता य इथीभखमहामाता च वचभूमीका च अंशे च निकाया । अयं च एतस फल य आत्मपासंडवढी च होती घमस च दीपना । *
1. प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए :
1. अशोक ने किस प्रकार के 'समाज' को न करने का आदेश दिया है ?
2. अशोक ने मांस भक्षरण का निषेध कहाँ से प्रारम्भ किया ?
3. उस समय चिकित्सा की क्या व्यवस्था अशोक ने की थी ?
अभ्यास
4. पथिकों के लिए क्या सुविधाएं थीं ?
5. अशोक के मत में 'सारवृद्धि' का क्या अर्थ है ?
6. 'समवाय' का क्या अर्थ है ?
2. निबन्धात्मक प्रश्न :
(क) अशोक ने धर्म - समन्वय के लिए कौन-कौन से अधिकारी नियुक्त किये थे ? (ख) अशोक के द्वारा जन-कल्याणकारी कार्यों का वर्णन कीजिए ।
अपने शिक्षक से समझें और
(ग) इन शिलालेखों की भाषा के सम्बन्ध में उसकी विशेषताएं लिखें ।
अशोक के अभिलेख (सं. - डॉ. राजबली पाण्डेय); ज्ञानमण्डल वाराणसी, 1965, से उद्धत ।
प्राकृत गद्य-सोपान
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