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________________ २. विज्जालयं [षष्ठी विभक्ति] इमं सोहणस्स विज्जालयं अत्थि । अत्थ तस्स भायरा मित्तारिण य पढन्ति । विज्जालयस्स तं भवणं अत्थि । इमं तस्स दारं अत्थि । तत्थ तस्स खेत्तं अस्थि । चन्दणाम बहिणो अत्थ पढइ । तान अभिहाणो कमला अत्थि। कमला गुरू विउसो अस्थि । विउसारण गुरुणो सीसा विणीमा होन्ति । विणीअस्स सीसस्स गाणं वरं होइ । सोहणस्स इमं पोत्थग्रं अत्थि । तारिण पोत्थाणि तस्स मित्तारण सन्ति । तस्स भायराण पोत्थाणि कारिण सन्ति ? इमा कमलान लेहणी अत्थि । तात्र सहीए इमा माला अत्थि । माला रंग पीअं अस्थि । कमला सहीण मालाण मुल्लं अप्पं अत्थि । इमं विज्जालयं बालपण अस्थि । तं विज्जालयं बालाण अत्थि । तत्थ विउसारण सम्मारणं हवइ । अत्थ गुरूण पूरा हवइ । अत्थ बालमा पढन्ति । तत्थ बालायो पढन्ति । अभ्यास (क) नये शब्द छांटकर लिखो: शब्दरूप मूलशब्द सोहरणस्स सोहण वचन विभक्ति षष्ठी ए.व. ............ ............ ............ ........ .... ............ ............ (ख) प्राकृत में अनुवाद करो : ____ वह मेरी पुस्तक है । यह तेरा घर है । वह किसका पुत्र है ? ये पुस्तकें तुम्हारी हैं । वहाँ कुलपति का शासन है। यह बच्चों का उपवन है। माला की दुकान कहाँ है ? यह युवति का भाई है। गाय का दूध मीठा होता है। यह फल का वृक्ष है। बह पानी की नदी है। वह फलों का रस है। प्राकृत काव्य-मंजरी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003806
Book TitlePrakrit Kavya Manjari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1982
Total Pages204
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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