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नियम : सर्वनाम ( पु०, स्त्री०) प्रथमा विभक्ति
सर्वनाम (पु०, स्त्री०) :
नियम १: प्राकृत में ग्रम्ह ( मैं ) एवं तुम्ह (तुम) सर्वनाम के रूप पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग में प्रथमा विभक्ति में इस प्रकार बनते हैं :
बहुवचन - श्रम्हे, तुम्हे
एकवचन - श्रहं तुमं
सर्वनाम (पु० ) :
नियम २ : त ( वह ) सर्वनाम का प्रथमा विभक्ति एकवचन में सो तथा बहुवचन में ते रूप बन जाता है ।
नियम ३ : इम (यह ) तथा क ( कौन) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति के एकवचन में श्रो तथा बहुवचन में ए प्रत्यय लगाकर ये रूप बनते हैं :इमो, इमे; को, के
सर्वनाम (स्त्री०) :
नियम ४ : ता ( वह ) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में सा रूप तथा बहुवचम में श्री प्रत्यय लगाकर ताम्रो रूप बनता है ।
नियम ५ : इमा (यह ) एबं का ( कौन ) सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन और बहुवचन में ये रूप बनते हैं :इमा, इमाश्री;
का, काो ।
निर्देश: पिछले उदाहरण - वाक्यों के पाठों में जो आपने सर्वनाम के रूप पड़े हैं उन्हें
इस प्रकार याद कर लें:
वचन
प्रथम पु.
ए० व०
अहं
ब० व०
अ
नवीन शब्द :- अव्यय
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मुहु = बार-बार अप्पं = थोड़ा
प्राकृत काव्य - मंजरी
मध्यम पु.
तुम
तुम्हे
ऊपर आपने निम्नांकित अध्यय पढ़े हैं, जिनमें कुछ परिवर्तन नहीं होता है :
पातो प्रातः
प्रतिदिन
सया सदा
अईव अधिक
अन्य पुरुष
पइदिर
खिप्पं
सम्म
अत्थ
सो, इमो, को
ते, इमे, के
= शीघ्र
= अच्छी तरह
=यहाँ
स्त्री.
सा,
इमा, का ताओ, इमाओ, काओ
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सद = एक बार
सुहं
सुखपूर्वक
तस्थ
= वहाँ
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