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अभ्यास
१. शब्दार्थ :
मुहरा = प्रसन्नता दीअन = दीपक उप्रअ = पानी पाहारण - पत्थर मरासिण= स्वाभिमानी सउरण = पक्षी उच्छ. = ईख भुअंग = साँप सव्व = सभी छाइ = छाया
किविरण = कंजूस विप्पिन = बुरा प्रारगण = मुख परगना = कृपा पहिम = राहगीर
मूलशब्द
विभक्ति
लिग
२. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप
पुत्तेसु पहिअस्स किरणा जीहाइ सप्पो पुण्णेहि जणं
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संधिकार्य
(ख) संधिवाक्य
गिह्माअव अरव्विग्गा विहलुद्धरण वाहिरुण्हाई
विच्छेद ... ....+ "" ......... ......
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विग्रह
समासनाम
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समासपद अणुदिअह राहुमुहम्मि आअवभएण
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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