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अभ्यास १. शब्दार्थ :
भारण, = सूर्य संगम = संगति भुवरण = संसार तम = अंधकार परिहाव = उत्कर्ष कलुसिमा= कालिमा कसरण - काला कुरंग = मृग तरण = पुत्र केसरि = सिंह पिसा = रात्रि विस = कमलनाल सिरि = लक्ष्मी कल्लोल = तरंग वयरण = मुख
कुवइ = पृथ्वीपति अविग्गहो= युद्ध रहित तुगो = स्वाभिमानी २. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए : (क) शब्दरूप
मूलशब्द विभक्ति
वचन
रिग सुयणा कसणो ससिणा
.... .. वणराई संधिवाक्य
विभक्ति
संधिकार्य कहाणुबंधा
... + "" सासणमिव
""""+"""" जम्मुप्पत्ति
....... ........ तत्थेरिसम्मि तत्थ+एरिसम्मि
अ+ए=ए लोयणाणंद
....... ........ सतासो
सत्त+आसो
अ+ आ=आ
........
............
.
........
....
...
..
..........
....
....
...
........
विग्रह
समासनाम
समासपद चंदकिरणा सरयरयणी हंससंलावो कव्वविणिवेसा कलंकवज्जिओ
..........
...." + " " ....... ........ .... - +........ ....... .... कलंकेण+बज्जिओ
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प्राकृत काव्य-मंजरी
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