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विषय
१८६ ...तदुत्पत्ति-तत्सारूप्य का व्यभिचार प्रामाण्यवञ्चक १८७ ...स्तम्भनिर्विकल्पबोध में सविकल्पत्व आपत्ति १८८ ... विज्ञानकृतक्षणिकत्वनिश्चयपक्ष में अनुमानप्रवृत्तिनिरर्थकता
१८९ ... दर्शन में विकल्पजनकत्व के विघटन का प्रसंग १९० ... विकल्प निर्विषयक होने मात्र से अप्रमाण नहीं १९१... प्रज्ञाकर मतानुसार भी अनुमान अप्रमाण १९२ ... अनुमान में विकल्प का अन्तर्भाव नहीं १९३ ... विकल्प के दर्शन का प्रामाण्य अनुपपन्न १९३ . भावि प्राप्य अर्थ में दर्शन की प्रमाणता अघटित १९४ ...एकत्व में दर्शन की प्रमाणता विवादास्पद १९५ ... चित्रप्रतिभासबुद्धि में एकत्वसाधक हेतु अनैकान्तिक
विषय निर्देश
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विषय
२०५... संनिहित- असंनिहित प्रत्यक्ष के लिये योग्यायोग्यता की चर्चा
२०६ ... विशेषणविशिष्टार्थग्राही प्रत्यक्ष में वैशद्याभाव का निरसन
२०७... व्यवहित सकलअर्थसमुदाय के भान की प्रसक्ति का निरसन
२०७... हेतु - विषय के भेद से विकल्प में भेदापत्ति का निरसन
१९६... विवेचन अशक्यता का दूसरा अर्थ अनन्यवेद्यत्व में दोष
१९६
समीक्षा
१९७ ... चित्रप्रतिभास में नानात्व का निषेध असंगत १९८ ... विकल्प के विना अर्थग्रहण का असम्भव १९९ ... सदृशाकार जल-मरीचिका की तरह असत्य नहीं १९९ ... सर्वत्र व्यवस्थाभंग का अनिष्ट प्रसंग २०० ...एक ज्ञान की अनेकवस्तुविषयता में अविरोध २०१... प्रथम दर्शन में ही एकानेकस्वरूप वस्तु का बोध
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...एकत्व/नानात्वादिसर्वविकल्परहित तत्त्व की
२१० ... वस्तुमात्र अनेकविरोधाभासिधर्मशाली अनेकान्तवाद
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२०८ ... वाग्रूपताविशिष्ट या वाग्रूपतापन्न अर्थप्रतिभास ? दो विकल्प
२०८ ... एक संवेदन गृहीत अर्थ अन्य संवेदन का विषय कैसे ?
उत्तर
२०९ ... समानकाल/ भिन्नकाल के दो विकल्पों में दोषों का निरसन
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१५
२१० ... चिर भूतकालीन अर्थों की प्रतीति की आपत्ति का निरसन
२११ ... विकल्पमात्र में अर्थप्रत्यक्षीकरण-स्वभाव का निषेध अनुचित
२१२ ... संवेदन में स्थिर - स्थूल अर्थविषयता का उपपादन २१३ ... विकल्प से अर्थक्रियासमर्थरूप के भान की उपपत्ति
२०२ ... विवादास्पद स्तम्भादिज्ञान मानस नहीं, अध्यक्ष है
२०३ ... अनुमान से सविकल्प में प्रत्यक्षत्वसिद्धि २०३ ...वस्तुविषयीकरण के विना निश्चयस्वरूपता का असंभव
२०४ ... प्रत्यक्ष की निश्चयात्मकता में बाधक चर्चा २१७... इन्द्रियार्थसंनिकर्षजन्य ज्ञान प्रत्यक्ष - नैयायिक दूसरा विकल्प
२१८ ... रूपादिउल्लेख की व्यर्थता का निरसन
२०४ ... अनुमान प्रत्यक्ष की निश्चयात्मकता का बाधक २१९... संनिकर्ष के छः प्रकार
नहीं
२२०... समवाय- समवेतसमवाय
२१४ ...अन्योन्याश्रयादि दोषाशंकाओं का प्रत्युत्तर २१५ ...फलसाधनयोग्यता की परोक्षता...इत्यादि निरूपण का प्रत्युत्तर
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२१६ ... प्रमाणभेदवक्तव्ये न्यायमतीयप्रत्यक्षलक्षण समीक्षा २१६... प्रमाणभेदों का निरूपण - न्यायदर्शन के प्रत्यक्षलक्षण की समीक्षा
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