________________
१२
विषय निर्देश
विषय
पृष्ठ
विषय
८४ .....बौद्धमत में सर्व अनुमान उच्छेद की आपत्ति | १०२ ...नीलादि में जडादिसमारोपव्यवच्छे द की ८५ .....लिंग और अनुमान की समकालीनता | अनुपपत्ति आपत्तिग्रस्त
१०३ ...सुखादि के दृष्टान्त में साध्यवैकल्य ८६ .....अनुमान लिंगजन्य होने पर लिंगरूपता की | १०३ ...सुखादि में ज्ञानरूपतासाधक तर्काभास आपत्ति
| १०४ ...सुख और अनुग्रह की भिन्नता का पक्ष भी ८७ .....स्वसंवेदनपक्ष में ऐक्यादि आपत्ति का निरूपण अयुक्त ८७ .....ऐक्यादि आपत्ति का निरसन
१०४ ...सुख और अनुग्रह दोनों के बीच कारण-कार्यभाव ८८ .....लिंग के दो स्वरूप अनवस्था दोषग्रस्त
असत् ८९ .....एक ही ज्ञान से स्व-पर का ग्रहण निर्बाध है | १०५ ...जडतासमारोपव्यवच्छेद असंगत ९० .....लिंग से होनेवाली उत्पत्ति पर समय के विकल्प | १०५...जैनमतसिद्ध सुखादिगतजडताअभाव से बौद्ध ९१ .....अनुमानोच्छेद की बीभिषिका दोनों पक्षों में | को इष्टापत्ति नहीं समान
१०६ ...सुखादि में ज्ञानत्वनिश्चयवत् नीलादि में ९१ .... लिंग में अनुमान की कारणता का अपलाप जडत्वनिश्चयसिद्धि अशक्य
| १०६ ...स्तम्भादि में ज्ञानरूपता की सिद्धि प्रकाशन ९२ .....समारोपव्यवच्छेद एवं बाह्यार्थपक्ष में युक्तितुल्यता | हेतु से अशक्य ९३ .....बौद्धमत में समारोपव्यवच्छेद अशक्य | १०७ ...नीलादि की पारमार्थिकता प्रमाणसिद्ध नहीं ९३ .....समारोपव्यवच्छेद की अनुपपत्ति तदवस्थ | १०७...केशोण्डुक शब्दार्थ - टीप्पणी में ९४ .....अनुमान से समारोपव्यवच्छेद अशक्य | १०८ ...स्तम्भादि में असत्त्व-साधक अनुमान अप्रमाण ९५ .....बौद्धमत में ज्ञान की स्वप्रकाशता विरोधग्रस्त | १०८...स्तम्भादि की अपारमार्थिकता का अनुमान ९५ .....नील की प्रतिभासमात्ररूपता विरोध ग्रस्त बाधक कैसे ? ९६ .....बौद्धमत में प्रतिभासमात्र के अभाव की आपत्ति १०८...परमार्थगोचर समारोप का व्यवच्छेद अशक्य ९७ .....स्व-परग्रहण व्यापारनिषेध का असंभव |१०९...स्वच्छदर्शनगोचरत्व हेतु में साध्यद्रोह दोष ९७ .....अन्योन्यग्रहण की आपत्ति उभयपक्ष में तुल्य | ११०...स्वच्छदर्शनगोचरत्व का स्वप्न में व्याप्तिग्रह ९७ .....ज्ञान एवं ज्ञानस्वरूप में भी भिन्नाभिन्न- निरर्थक कालविकल्प
| १११ ...दृष्टान्त में साध्यशून्यता या हेतु में साध्यद्रोह ९८ .....विकल्प में परतः अवभासन हेतु असिद्ध दोष ९९ .....ज्ञान और अवभासन की व्याप्ति का ग्रहण | ११२ ...नीलादि में परमार्थसत्ताबाधक हेतु बाधमुक्त निरर्थक
११२ ...जैनोक्त हेतु में बौद्ध आशंका ९९ .....मिथ्याविकल्प द्वारा गृहीत व्याप्ति से सत्य | ११३ ... वह नहीं' इस बाधबुद्धि की अनुपपत्तिअनुमान अशक्य
बौद्धाशंका चालु १०० ...गृहीत जडपदार्थ में प्रकाश अयोग अनुपपन्न | ११४ ...बाधबुद्धि का स्पष्टीकरण - जैन १०१...नील में ज्ञानत्व की सिद्धि का प्रयास अनुचित | ११४...बाध्यबाधकभाव निषेध करने पर बौद्धनिग्रह १०२ ...समारोपव्यवच्छेद के लिये शास्त्ररचना व्यर्थ | ११५ ...समारोपव्यवच्छेद की अनुपपत्ति
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org