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________________ १० पृष्ठ विषय २६ ..... नील - नीलसंवेदन का भेद अबाधित २७..... प्रकाशता की नीलादि आकाररूपता असंगत २८..... प्रकाशता की ग्राह्यरूप से भासित नीलादि आकारता मानने अन्योन्याश्रय २८ .....तदाकारता में तद्ग्राहकता की व्याप्ति असिद्ध . तद् ग्राहकता का नियामक ज्ञानक्षणों का कार्यकारणभाव अशक्य २८ २९..... २९ ३० ३० ३१ की अनुपपत्ति . स्वरूप संवेदनात्मक प्रमाणलक्षण में प्रत्यक्षबाध ... एक सामग्री अधीनता से व्यवहार उपपत्ति उभयपक्ष में शक्य ३१ ३२ . बाह्यार्थसिद्धि का मुख्य आधार प्रत्यक्षप्रतिभास ..... साकारवाद में नियत अर्थव्यवस्था असंभव ..... साकारवाद में साकारताजनक के जनक की अनवस्था दोष ३३ . प्रकाशता में अर्थाकार प्रवेश मानने पर परलोकभंग का प्रसंग ..... मीमांसकप्रमाणलक्षणेऽनधिगतार्थाधि ३३ विषय निर्देश पृष्ठ ३४ . सारूप्य का एकान्त भेद - अभेद पक्ष दोषग्रस्त ४१ . नीलाकार ज्ञान से नीलव्यवस्था मानने पर अतिप्रसंग ४१ ४२ . चक्षु से रूपोपलब्धि के व्यवहार की निराकारवाद ४३ में संगति ४४ ३० .. साकारवाद में धर्मकीर्त्तिनिरूपित प्रमाणलक्षण ४४..... बौद्धमत में स्वतः प्रामाण्यनिश्चय की व्याख्या . प्रदर्शकत्व प्रापकत्वरूप नहीं ३७ ३७ - गन्तृत्वस्य निरसनम् ३४ ..... मीमांसामत का अनधिगतार्थाधिगन्तृत्व विशेषण दुर्घट ३६ .....एकान्ततः अनधिगतार्थाधिगन्तृत्व का असंभव . प्रेक्षापूर्वकारी पुरुष को ज्ञातार्थज्ञान के लिये उपालम्भ अनुचित ३६.... Jain Educationa International ३८ ३८ ..... . पुनः पुनः निश्चयकारक प्रमाण की सार्थकता . समानविषयक शाब्दादिज्ञानों का प्रामाण्य युक्तियुक्त ३९..... ४० ४० विषय . पुरुषप्रवृत्ति प्रमाणाधीन नहीं होती . पुरुषार्थोपयोगी साधन का प्रदर्शकत्व प्रवर्त्तकत्व कैसे ? . बौद्धमतानुसार प्रमाणस्वरूप का निरूपण प्रत्यक्ष और अनुमान का प्रापकत्व . बौद्धमत में प्रत्यक्षग्राह्य क्षणिक पदार्थ 'प्राप्य' नहीं होता अनुमान में प्रदर्शित अर्थप्रापकत्व की उपपत्ति . विकल्प भी वस्तुलक्षी प्रवृत्ति कारक होता है . पीतशंखग्राहि ज्ञान में प्रामाण्यापत्ति का निरसन . प्रत्यक्ष / अनुमान से अतिरिक्त कोई प्रमाण नहीं . बौद्धमतप्रदर्शितप्रमाणलक्षणनिरसनम् ४४...... अर्थ का तीसरा प्रकार ? अर्थ का समर्थन . उपेक्षणीय . उपेक्षणीय . बौद्धमत में प्रदर्शितार्थप्रापकत्व की अनुपपत्ति . दृश्य - प्राप्य के एकीकरण का प्रयास व्यर्थ . लोकव्यवहारसिद्धप्रमाणलक्षण से नित्यानित्य अर्थ की सिद्धि ४७ ..... प्रत्यक्षगृहीत सन्तान का विकल्प से समर्थन ४६ ४६ ४४..... ४५ ४५...... ४९ ४९ ५० - अशक्य ४८ ..... सन्तान वस्तुतत्त्व की सिद्धि से बौद्धमत में आपत्ति - ४८ . बौद्धमतानुसार अनेकान्तवाद की सिद्धि ..... नैयायिकमतेन प्रमाणलक्षणम् ४९ .नैयायिकमतानुसार सामग्री में प्रामाण्य दुर्घट . विवक्षानुसार साधकतमत्व की उपपत्ति अशक्य सन्निपत्यजनकत्व साधकतमत्व नहीं हो सकता ५१......कारकसाकल्य में साधकतमत्व का उपपादन प्रयास For Personal and Private Use Only ५२. संनिपत्यजनन एक अतिशय, वही साधकतमत्व . सामग्री में साधकतमत्व की उपपत्ति ५२ www.jainelibrary.org
SR No.003804
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages534
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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