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* सन्मतितर्क० तृतीयखण्ड
विषय निर्देश *
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विषय
१५ ..... सपक्ष की व्यवस्था दुष्कर नहीं
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.. पर्यायनय का कुछ स्वरूप निर्धारण
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. ऋजुसूत्रे बौद्धसंमतवादप्ररूपणायामक्षणिकवाद- १७
पूर्वपक्ष:
विषय
. पंचमगाथा का अवयवार्थ
. ऋजुसूत्रवचनविच्छेद - शब्द का तात्पर्य
. शब्दात्मक वचनविच्छेद नयाधार कैसे ?
पूर्वपक्ष
• अनुमान से क्षणभंगवाद का निश्चय अशक्य . क्षणिकता अनुमान के लिये तीनों हेतु व्यर्थ . कार्य और अनुपलब्धि हेतु के विशेषलक्षण का निरसन
. प्रत्यभिज्ञा के प्रामाण्य और प्रत्यक्षत्व का समर्थन
.. प्रत्यभिज्ञा प्रत्यक्ष का प्रमेय कौन ?
. प्रत्यभिज्ञा में भिन्नाभिन्नवस्तुविषयता का समर्थन
. संदेहनिरसन भी प्रामाण्य का प्रयोजक
. हेतु का लक्षण 'साध्य के साथ प्रतिबद्धता' .नैयायिककल्पित सत्तालक्षण का निरसन . सत्ता का सही लक्षण अर्थक्रियासामर्थ्य उत्पादादिरूप सत्त्वलक्षण की समीक्षा
१८ ..... प्रत्यक्ष से क्षणिकत्वसिद्धि की चर्चा ..ऋजुसूत्रावतरितबौद्धमतप्ररूपणा - अक्षणिकवादि- १९..... सत्त्व हेतु से परोक्ष भावों में क्षणिकत्वानुमान
की चर्चा
. प्रत्यभिज्ञा अविकल्परूप भी होती है
. प्रत्यक्ष की स्थैर्यविषयता का समर्थन
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. नीलादि का अतूटरूप से अक्षणिकत्व संवेदन ..... विनाश अहेतुक नहीं होता स्थैर्यवादी 99 ..... विनाश में कार्यत्व की उपपत्ति
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.ऋजुसूत्रनयावलम्बिसौगतीयः क्षणभंगसिद्धा
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१९ .....शब्द परमार्थतः अर्थवाचक नहीं होता २०......सत्त्वस्वभावहेतु में क्षणिकत्व के तादात्म्यप्रतिबन्धनिश्चय पर प्रश्न
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. क्षणिक भाव साथ क्रमादि का मेल अघटित २१...... क्रमाक्रम के विना भी अर्थक्रिया की सम्भावना २२ ..... नित्य पदार्थ में क्रमाक्रमयोगाभाव संदेहग्रस्त २२ ...... क्षणिकवादी का उत्तर - क्रम की व्याख्या एवं समीक्षा
२३ .....स्वतन्त्रकालतत्त्ववादी के मत में क्रमग्रहण
प्रश्नग्रस्त
२४ ......नित्यवादीपक्ष में अन्यप्रकार के कर्तृत्व की असंगति
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२४ ..... क्षणिक भाव में क्रमाक्रम का नियम सुसंगत . नित्य वस्तु के साथ क्रमाक्रम की असगंति .. क्षणिकत्वनिश्चय के बाद प्रत्यक्षबाध अकिंचित्कर
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.. क्षणिकत्व की सिद्धि में कृतकत्व हेतु निर्दोष ..... निर्बाधरूप से अन्वयव्यतिरेक निश्चय की उपपत्ति
वुत्तरपक्षः
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..... वैशेषिक मतानुसार अभाव में कार्यता संगति १२ ..... क्षणिकत्वसिद्धि ऋजुसूत्रानुसारी बौद्ध - उत्तरपक्ष १३ ..... हेतु में साध्यप्रतिबद्धता का निश्चय कैसे ? . साध्यनिश्चय का आधार सिर्फ व्याप्ति
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१४ ..... हेतु में सामान्यलक्षणविरह के आपादन का २७ सत्त्व हेतु में विपक्षबाधकशंका का निवारण . अर्थक्रिया का व्यापकत्व क्रमादि में प्रश्नापन्न
निरसन
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