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________________ १२ १९२ व्यापक एक सर्वव्यक्तिनिष्ठ सामान्य अमान्य सर्व वस्तु की उभयरूपता के ऊपर आक्षेप का प्रतिकार सादृश्य दृष्टिगोचर न होने के आक्षेप का उत्तर स्वलक्षण सर्वसजातीपविजातीयों से व्यावृत्त कैसे ? भेद के साथ व्याक्ति का प्रत्यक्ष से ग्रहण अशक्य अविशद अवभास में स्वलक्षणविषयत्वनिषेध अशक्य विकल्प में प्रामाण्य दुर्निवार अनुमान से समारोपव्यवच्छेद की अनुपपत्ति अक्षणिकसमारोप की दुर्घटता तदवस्थ मानसिक अक्षणिकत्वभ्रम की भी दुर्घटता नैरात्म्य अभ्यास में निष्फलता की आपत्ति विकल्प में प्रामाण्य अपरिहार्य व्यापकरूप से व्याप्तिग्रह-शक्यता की शंका-उत्तर स्वविषयसंवादी विकल्प प्रमाणभूत व्याप्तिग्राहक विकल्प प्रमाण का अन्तर्भाव योग्यता सम्बन्ध का समर्थन । तदुत्पत्ति-तत्सारूप्य-तदध्यवसायित्व ये तीनों निरर्थक विकल्प में सामान्यग्राहकत्व का समर्थन विकल्प-अविकल्प में एक-दूसरे का अध्यारोप दुर्घट विकल्प-अविकल्प में एकविषपता दुर्गट विकल्प में स्पष्टतावभास का निमित्त एक सामग्री से विकल्प-अविकल्प दोनों का उद्भव असंगत विकल्प में अर्थसाक्षात्कारस्वरूप वैशद्य १६७ विकल्प से भिन्न निर्विकल्पज्ञान की समीक्षा १८८ विकल्प मुक्त अवस्था में भी स्थिर-स्थूलबाह्यार्थ का भान सविकल्प से अर्थव्यवस्था, अन्यथा व्यवहारोच्छेद प्रमाण का विषय सामान्य-विशेषोभयात्मक वस्तु घट में स्वसत्त्व की तरह स्वाऽसत्त्व की आपत्ति 'भेदेषु अभेदाध्यवसायित्व' हेतु आश्रयासिद्ध १९३ स्वसंवेदनप्रत्यक्ष में भेदप्रसत्ति १९३ १७३ सामान्य में आरोपित का निराकरण १९४ १७४ एकान्त क्षणिकत्व युक्तिसंगत नहीं है १९६ १७५ व्यावृत्तिभेद पर चार विकल्प १७६ प्रतिभासभेद से व्यावृत्तिभेद होने पर १७७ शब्दत्वभेद १९७ १७८ अनित्यत्व-कृतकत्व में साध्य-साधनभाव दुर्घट १९८ विनाशस्वभावनियतत्व की सिद्धि अशक्य २०० १७९ प्रतिक्षणविनाशसाधक बौद्ध युक्ति २०१ १८० बौद्ध की क्षणिकत्वसाधक युक्तिओं का १८१ प्रत्युत्तर १८१ परमाणुवों के असम्बन्ध की कल्पना का निरसन २०३ १८२ सम्बन्धप्रतीति आरोपितगोचर . शंका का १८३ निरसन असम्बन्धवाद में अर्थक्रियाविरोध २०५ १८४ स्थायिभाव में अर्थक्रियाविरोधशंका का निरसन २०६ १८५ अनपेक्षत्व हेतु में भागासिद्धि प्रदर्शन २०७ १८६ क्षणिक पदार्थ में अर्थक्रियाविरोधनिर्देशन २०८ पूर्वक्षण में उत्तरकार्योत्पत्ति की आपत्ति का १८७ निर्मूलन २०९ १८८ शक्ति और शक्तिमान में भेदाभेद २०९ २०२ २०४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003802
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages436
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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