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________________ विषयानुक्रमणिका २२ विषय पृष्ठसंख्या विषय पृष्ठसंख्या द्वितीयगाथावतरणिका १ स्वलक्षण में संकेत का असम्भव प्रपोजनप्रतिपादन का प्रपोजन २ दिग्नागमतविरोधी उद्योतकरकथन की आलोचना २१ आदिवाक्योपादानं व्यर्थम्-पूर्वपक्ष: ___ व्यवहार से संकेतग्रह असम्भव पूर्वपक्ष-आदिवाक्य निरर्थक, प्रमाणातीत में अणुप्रचयात्मक हिमाचलादि में संकेत असम्भव २३ प्रवृत्तिविरह क्रिया के असम्भव से संकेत का असम्भव बासार्थ के साथ शब्द का सम्बन्ध अमान्य समानजातीय क्षणान्तर में संकेत का असम्भव संशपजनक होने से आदिवाक्य सार्थक शदसलक्षण का संकेत असम्भव प्रयोजनविशेषसंशय का उत्पादक आदिवाक्य स्वलक्षण, शब्द से अव्यपदेश्य उपादेय पदार्षविषये न्यायसूत्रकाराभिप्रायविवेचनम् प्रपोजन या शास्त्र से विशेषस्मृति ? नैपापिक मत से व्यक्ति आदि पदार्थ आदिवाक्य प्रकरणारम्भायोग्यता अनुमान भाष्यकारमत से व्यक्ति सूत्र का पदार्थ हेतुअसिद्धता का सूचक ८ भाष्यकारमत से आकृति का स्वरूप । आदिवाक्प संदिग्धासिद्धता दिखाने के लिये ९ जाति आदि में पदवाच्यत्व का निषेध आदिवाक्यस्य सार्थकता-उत्तरपक्षः ११ २.४ जातितद्योगतद्वत्सु संकेताऽसम्भवप्रदर्शनम् उत्तरपक्ष . आदिवाक्य सार्थक है ११ पदवाच्यविषयाणि वाजध्यायन-व्याडि-पाणिनीनां आप्त-अनाप्त के वाक्यो में विशेषता का बोध १२ मतानि वाक्य के बिना प्रयोजननिश्चय अशक्य १३ जाति आदि में संकेत का असम्भव निःप्रयोजनत्वहेतुअसिद्धता का उद्भावन पथार्थ १३ बुद्धि-आकार में संकेत का असम्भव द्वितीयगाथा का पदार्थ बुद्ध्याकारे समयाऽसम्भवसाधनम् शब्द-अर्थ-तत्सम्बन्धमीमांसा-पूर्वपक्षः १-अस्त्यर्धवादिमतम् अपोह ही शब्दार्थ है . बौद्ध पूर्वपक्ष १५ शब्दों का प्रतिपाद्य है अस्ति- अर्थ 'दण्डी' इत्यादि शाब्दप्रतीति सनिमित्त २-समुदायार्थवादिमतम् । अपोहवादे शब्दप्रतीतिनिमित्तम् १७ २-समुदाय ही शब्दार्थ है अपोहवाद में शब्दप्रतीति का निमित्त ३ - असत्यसम्बन्धपदार्थवादिमतम् शब्दप्रतीति भ्रान्त होने में प्रमाण ४-असत्योपाधिसत्यपदार्थवादिमतम् शब्दप्रतीति की निर्विषयता ३-असत्यसम्बन्ध और ४. असत्योपाधिसत्य स्वलक्षणादि में शब्दसंकेत की समीक्षा शब्दार्थ १-स्वलक्षणे संकेताऽसम्भवः २० ५-अभिजल्पपदार्थवादिमतम् Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003802
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages436
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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