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________________ पृष्ठांक पृष्ठांकः विषयः विषयः ६१० मुमुक्षु में द्वेषसत्ता होने पर भी बन्धाभाव ६२० तत्वज्ञान से सन्तानोच्छेद अशक्य ६११ मुक्ति विशुद्धज्ञानोत्पत्तिस्वरूप भी नहीं है ६३० उपभोग से सर्वकर्मक्षय अशक्य ६११ ज्ञानधारा अविच्छिन्न होने की शंका का | ६३० सम्यग्ज्ञान से संचितकर्मक्षय की यक्तता निरसन ६३१ रागादि के विना उपभोग का असंभव ६१२ सषुप्तावस्था में ज्ञान की सिद्धि अशक्य ६३२ सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्र ही मोक्ष का हेतु है ६१३ अभ्यास से रागादिनाश की अनुपपत्ति ६३३ चिदानंदरूपता भी एकान्त नित्य नहीं है ६१३ अनेकान्तभावना से मोक्षलाभ ६३३ कर्मसंतानरूप अविद्या के ध्वंस से मोक्ष ६१४ अनेकान्तभावना से मोक्ष की बात असंगत ६३४ मुक्ति में सुख की उत्पत्ति का हेतु ६१५ प्रात्मा में नित्यत्वादि का एकान्त ६३५ ज्ञानोत्पत्ति में देह की कारणता अनिवार्य ६१५ अद्वैतवादी अभिमत मोक्ष में असंगति नहीं ६१६ मुक्तिमीमांसायामुत्तरपक्षः ६३५ ज्ञान का स्वभाव सकलवस्तु प्रकाशकत्व ६१६ विशेषगुणोच्छेदरूप मुक्ति की मान्यता का ६३६ मुक्ति में प्रात्मस्वरूप प्रानन्द की उत्पत्ति निरसन-उत्तरपक्ष ६३७ साश्रवचित्तसन्ताननिरोष मुक्ति का स्वरूप ६१७ सन्तानत्वसामान्य के सम्बन्ध की अनुपपत्ति नहीं है ६१७ समवाय के विषय में प्रत्यक्षादि कोई प्रमाण ६३८ चित्तसन्तान में अन्वयी आत्मा की उपपत्ति नहीं है ६३६ ज्ञान-आत्मा का भेदसाधक अनुमान प्रत्यक्ष६१८ सम्बन्धरूप से समवाय का अध्यवसाय बाधित विकलपग्रस्त ६४. एकत्वविषयक प्रत्यक्ष मिथ्या नहीं है ६१६ इहबुद्धि और समवायबुद्धि से समवाय की ६४१ विरोधापादन का निवारण प्रतीति अनुपपन्न । ६४२ बाधक के विना गौणार्थकल्पना असंगत ६२० इहबुद्धि से समवायसिद्धि अशक्य ६४३ सुषुप्ति में ज्ञान के सद्भाव की सिद्धि ६२० समवाय के अभाव में सन्तानत्व हेतु को ६.४ अनेकान्तभावनाजनित ज्ञान असम्यक नहीं असिद्धि ६४६ समवायादिसम्बन्धकल्पना में अनवस्था ६२१ उपादान-उपादेय बुद्धिप्रवाहरूप संतानत्व ६४७ व्यावृत्ति सर्वथा भिन्न या प्रसत नहीं है हेतु में दोष ६२२ पूर्वापरभावापन्नक्षणप्रवाहरूप सन्तानत्व ६४८ दृश्य-विकल्प्य का एकीकरण अशक्य ६४६ सामान्य समानपरिणामरूप है हेतु में दोष ६५० इतरेतराभाव की अनुपपत्ति ६२२ सन्तानत्व हेतु में विरोध दोष ६५१ भेद का अपलाप अशक्य ६२३ सन्तानत्व हेतु में विरोध दोष का समर्थन ६५२ पराऽसत्त्व के विना स्वभावनयत्य का प्रभाव ६२४ संतानत्व हेतु में पक्षबाधा और कालात्यया पदिष्टता ६५२ अन्यापोह को पदार्थरूप मानने में अनव स्थादिदोष नहीं ६२४ शब्दादि में परिणामवाद की सिद्धि ६२५ क्षणिकवाद में कारणकार्यभाव की अनुपपत्ति ६५४ अनेकान्तवाद में अनवस्थादि का परिहार ६२६ परिणामवावस्वीकार के विना कृतकत्वादि ६५५ परिशिष्ट-१ व्याख्यागतसाक्षिपाठों का की अनुपपत्ति प्रकारादिक्रम ६२८ सन्तानत्वहेतुक अनुमान में सत्प्रतिपक्षता | ६५६ शुद्धिपत्रक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003801
Book TitleSanmati Tark Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year2010
Total Pages702
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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