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पृष्ठांकः विषयः
पृष्ठांकः विषयः १६० विपक्षीभूत सर्वज्ञ से वक्तृत्व हेतु की निवृत्ति । २०६ असर्वज्ञता-वक्तृत्व के कार्य-कारणभाव की
असिद्ध
असिद्धि अन्यत्र तुल्य १६१ स्वकीय अनुपलम्भ से विपक्षव्यावृत्तिनिश्चय २०७ धूम में अग्निव्यभिचार न होने की शंका अशक्य
का उत्तर १६१ सर्वज्ञाभाव साधक हेतु में आश्रयसिद्धि दोष २०८ असर्वज्ञ और भाषाव्यवहार के प्रतिबन्ध १६२ सर्वज्ञ वेदवचन से प्रसिद्ध है
की सिद्धि १९२ उपमानप्रमाण से सर्वज्ञाभाव की सिद्धि दुष्कर २०८ प्रसिद्ध धूमहेतुक अनुमान के अभाव की १९३ अनुमान में अन्तर्भूत अर्थापत्ति स्वतन्त्र
प्रापत्ति प्रमाण ही नहीं है २०६ प्रसंगसाधन से सर्वज्ञाभाव सिद्धि का समर्थन १६४ विपक्षबाधकप्रमाण से अन्यथानुपपत्ति का | २०९ धर्मादिग्राहकतया अभिमत प्रत्यक्ष के ऊपर बोध
चार विकल्प १६५ लिंग और 'साध्य के विना अनुपपन्न अर्थ' २१० सर्वज्ञ का प्रत्यक्ष अभ्यासजनित नहीं है
दोनों में विशेषाभाव २११ चक्षु आदि से अतीन्द्रिय अर्थदर्शन का असंभव १६५ दृष्टान्तधर्मी और साध्यधर्मी के भेद से २११ सर्वज्ञ का ज्ञान शब्दजन्य नहीं है
भेद प्रसिद्ध | २१२ अनुमान से सर्वज्ञता प्राप्ति का असंभव १९६ हेतु भेद से अनुमानप्रमाणभेद की आपत्ति | २१२ सर्वज्ञज्ञान में विपर्यास को आपत्ति १९७ अभावप्रमाण से सर्वज्ञ का प्रतिरोध अशक्य २१३ रागादि ज्ञानावारक नहीं है। १९७ अन्यविज्ञानस्वरूप प्रभावप्रमाण का असंभव २१३ सर्वज्ञज्ञान की तीन विकल्पों से अनुपपत्ति १९८ सर्वज्ञत्वाभावरूप अन्यज्ञान से सर्वज्ञाभाव २१४ एक साथ सर्वपदार्थग्रहण की सदोषता
की सिद्धि अशक्य २१४ सकलपदार्थसंवेदन की शक्तिमत्ता असंगत १६८ सर्वज्ञवादी कथन को अयुक्तता का हेतु- २१५ मुख्य उपयोगी सर्वपदार्थ ज्ञान का असंभव
नास्तिक
२१५ समाधिमग्न सर्वज्ञ का वचनप्रयोग असंभव १९९ सर्वज्ञवादो की ओर से अनिमित्तत्व का २१६ स्वरूपमात्र के प्रत्यक्ष से सर्वज्ञता का असंभव
प्रतिक्षेप | २१७ अतीतत्व और अनागतत्व को अनुपपत्ति २०० नास्तिक द्वारा सर्वज्ञवादिकथित दूषणों का | २१८ स्वरूपतः पदार्थों का अतीतत्वादि मानने में प्रतिकार
आपत्ति २०१ सर्वज्ञाभावप्रतिपादक प्रसंग-विपर्यय
२१८ 'यह सर्वज्ञ है' ऐसा कैसे जाना जाय ? २०२ श्लोकवात्तिककार के अभिप्राय का समर्थन
२१९ सर्वज्ञ 'असद' रूप से व्यवहारयोग्यसर्वज्ञ२०३ धम से अग्नि के अनुमान में समान दोषा
विरोधी पूर्वपक्ष समाप्त
रोपण २०३ धूम में विपक्ष व्यावृत्ति के संदेह का समर्थन
२२० सर्वज्ञसद्भावावेदनम्-उत्तरपक्षः २०४ प्रात्मीय अनुपलम्भ से धूम की विपक्षव्या- | २२० सर्वज्ञसत्तासिद्धि निर्बाध है-उत्तरपक्ष प्रारंभ
वत्ति प्रसिद्ध | २२० प्रसिद्ध अनुमान में व्याप्तिग्रह अशक्यता का २०५ वक्तृत्व में वचनेच्छाहेतुकत्य की आशंका
समान दोष अनुचित | २२१ एक ज्ञान का प्रतिभासद्वय में अन्वय प्रसिद्ध
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