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वेज्ज विसेसि उवरिम- हेट्ठिम- गेवेज्जए उवरिम - मज्झिम- गेवेज्जे उवरिम उवरिम - गेवेज्जए । एतेसिं पि सव्वेसिं अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तय भेया भाणियव्वा । अविसेसिए अनुत्तरोववाइए विसेसिए विजयए वेजयंतए जयंतए अपराजियए सव्वट्ठसिद्धए य, एतेसिं पि सव्वेसिं अविसेसिय-विसेसियपज्जत्तय-अपज्जत्तय-भेदा भाणियव्वा ।
अविसेसिए अजीवदव्वे विसेसिए धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए य, अविसेसिए पोग्गलत्थिकाए विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपए सिए तिपएसिए जाव अनंतपएसिए य, से तं दुना ।
[१५१] से किं तं तिनामे ? तिनामे तिविहे पन्नत्ते तं जहा- दव्वनामे गु पज्जवनामे य, से किं तं दव्वनामे ? दव्वनामे छव्विहे पन्नत्ते० धम्मत्थिकाए जाव अद्धासमए, से तं दव्वनामे |
से किं तं गुणनामे ? गुणनामे पंचविहे पन्नत्ते तं जहा- वण्णनामे जाव संठाणनामे । से किं तं वण्णनामे ? वण्णनामे पंचविहे पन्नत्ते तं जहा - कालवण्णनामे नीलवण्णनामे लोहियवण्णनामे हालि
द्दवण्णनामे सुक्किलवण्णनामे से तं वण्णनामे । से किं तं गंधनामे ? गंधनामे दुविहे तं जहाभगंधा यदुभिगंधनामे य । से तं गंधनामे । से किं तं रसनामे ? रसनामे पंचविहे पन्नत्तं तं जहा- तित्तरसनामे कडुयरसनामे कसायरसनामे अंबिलरसनामे महुरसनामे, से तं रसनामे । से किं तं सुत्तं-१५१
फासनामे ? फासनामे अट्ठविहे पन्नत्ते तं जहा- कक्खडफासनामे मउयफासनामे गरुयफासनामे लहुयफासनामे सीतफासनामे उसिणफासनामे निद्धफासनामे लुक्खफासनामे, से तं फासनामे । से किं तं संठाणनामे ? संठाणनामे पंचविहे पन्नत्ते तं जहा - परिमंडलसंठाणनामे वट्टसंठाणनामे तंससंठाणनामे चउरंससंठाणनामे आयतसंठाणनामे से तं संठाणनामे । से तं गुणनामे |
से किं तं पज्जवनामे ? पज्जवनामे अनेगविहे पन्नत्ते तं जहा एगगुणकालए दुगुणकालए तिगुणकालए जाव दसगुणकालए संखेज्जगुणकालए असंखेज्जगुणकालए अनंतगुणकालए एवं नील-लोहियहालिद्द-सुक्किला वि भाणियव्वा । एगगुणसुब्भिगंधे दुगुणसुब्भिगंधे तिगुणसुब्भिगंधे जाव अनंतगुणसुब्भिगंधे एवं दुब्भिगंधो वि भाणियव्वो । एगगुणतित्ते जाव अनंतगुणतित्ते एवं कडुय - कसायअंबिल-महुरा वि भाणियव्वा । एगगुणकक्खडे जाव अनंतगुणकक्खडे, एवं मउय-गरुय - लहुय - सीत-उसिणनिद्ध-लक्खा वि भाणियव्वा, से तं पज्जवनामे |
[१५२] तं पुण नामं तिविहं इत्थी पुरिसं नपुंसगं चेव । एएसिं तिण्हंपि य अंतंमि परूवणं वोच्छं ।।
[१५३] तत्थ पुरिसस्स अंता आ ई ऊ ओ हवंति च ।
ते चेव इत्थियाए हवंति ओकारपरिहीणा ।।
[१५४] अं तिय इं तिय उं तिय अंता उ नपुंसगस्स बोद्धव्वा । एएसिं तिहंपि य वोच्छामि निदंसणे एत्तो ॥
[१५५] आकारंतो राया ईकारंतो गिरी य सिहरी य । ऊकारंतो विण्हू दुमो ओअंतो उ पुरिसाणं ।।
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[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
[४५-अनुओगदाराइं]