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________________ बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः ४४ नमो नमो निम्मलदंसणस्स ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स नंदीसूर्य-पढमा - पढमा चूलिया [3] जगनाहो जगबंधू जय जगप्पियामहो भयवं ।। [५] जयइ जगजीवजोणी-वियाणओ जगगुरू जगाणंदो । [२] जयइ सुयाणं पभवो तित्थयराणं अपच्छिमो जय । जय गुरू लोगाणं जय महप्पा महावीरो ।। [3] भद्दं सव्वजगुज्जोगस्स भद्दं जिणस्स वीरस्स । भद्दं सुरासुरणमंसियस्स भद्दं धुयरयस्स ।। [४] गुणभवन-गहण सुयरयणभरिय दंसण- विसुद्ध - रत्थागा । संघनगर भद्दं ते अक्खंडचरित्त-पागारा || संजम-तव-तुंबारयस्स नमो सम्मत्त - पारियल्लस्स । अप्पचिक्कस्स जओ होउ सया संघचक्कस्स ।। [६] भद्दं सीलपडागूसियस्स तव नियम-तुरय- जुत्तस्स । संघरहस्स भगवओ सज्झाय - सुणेमि - घोसस्स ।। [७] कम्मरय-जलोह-विनिग्गयस्स सुयरयण- दीहनालस्स । पंचमहव्वयथिरकण्णियस्स गुणकेसरालस्स ।। [८] सावगजनमहुअरपरिवुडस्स जिनसूर - तेयबुद्धस्स । संघपउमस्स भद्दं समणगण सहस्सपत्तस्स ।। [९] तव-संजम-मय-लंछन अकिरिय-राहुमुह - दुद्धरिस निच्चं । जय संघचंद! निम्मल-सम्मत्त - विसुद्धजोहागा ।। [१०] परतित्थिय-गह-पह- नासगस्स तवतेय - दित्तलेसस्स । नाणुज्जोयस्स जए भद्दं दमसंघसूरस्स ।। [११] भद्दं धिइ-वेला - परिगयस्स सज्झाय - जोग-मगरस्स । अक्खोभस्स भगवओ संघसमुद्दस्स रुंदस्स ।। [१२] सम्मद्दंसण वर वर दढ रूढ गाढावगाढ- पेढस्स । धम्मवर-रयण-मंडिय चामीयर - मेहलागस्स ।। [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [१३] नियमूसिय-कणय-सिलायलुज्जल-जलंत-चित्तकूडस्स । नंदनवन-मनहर-सुरभि सील - गंधुद्धमायस्स ।। [१४] जीवदया-सुंदर-कंदरुद्दरिय-मुनिवर- मइंद-इण्णस्स । हेउसय-धाउ-पगलंत- रयण दित्तोसहि-गुहस्स ।। [१५] संवर-वरजल-पगलिय-उज्झर - प्पविरायमाण- हारस्स । सावग-जन-पउर-रवंत- मोर-नच्चंत-कुहरस्स ।। [2] [४४-नंदीसूयं]
SR No.003787
Book TitleAgam 44 Nandisuyam Padhama Chuliya Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages26
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 44, & agam_nandisutra
File Size1 MB
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