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________________ अज्झयणं-१७ [ ५४७ ] पडिलेहेइ पमत्ते [ ५४८] पडिलेहेइ पत्ते [५५०] [५५१] [५५९] [५४९] बहुमाई पमुहरे [५५२] [५५४] उल्लंघणे य चंडे य पडिलेहा अ नाउत्ते, [५५६] संथारए अ नाउत्ते, [५५३] दुद्ध-दही- विगईओ, अरए य तवोकम्मे अत्यंतंमि य सुरं चोइओ पडिचोएइ, गुरुं पारिभावए निच्चं, o 3 [५५५ ] आयरियपरिच्चाई, गाणंगणि दुब्भू सयं गेहं परिच्चज्ज [५५८] एयारिसे पंचकुसील [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] 5 असंविभागी अ चियत्ते, विवादं च उदीरेइ वुग्गहे कलहे रत्ते अथिरासने कुक्कु आसणंमि अ नाउत्ते, ससरक्खपाए सुवई " [५६०] कंपिल्ले नयरे राया [ ५६१] हयाणीए गयाणीए पायत्ताणीए महया निमित्तेण य ववहरइ [ ५५७] संनाइपिंड जेमेइ गिहिनिसेज्जं च वाहेइ, नाणं संज ओ नामं पावसमणि त्ति वुच्चई || अवउज्झइ पायकं बलं पावसमणि त्ति वुच्चई || से किंचि ह निसामिया 9 " पावसमणि त्ति वुच्चई आहारेई अभिक्खणं पावसमणि त्ति वुच्चई ।। आहारेई अभिक्खणं पावसमणि त्ति वुच्चई || परपासंडसेवए पावसमणि त्ति वुच्चई || परगेहंसि वावरे मि, I I पावसमणि त्ति वुच्चई ।। छ सामुदायिं पावसमणि त्ति वुच्चई || रूवंधरे मु निपवराण हे द्विमे । अयंसि लोए विसमे व गरहिए, न से इहं नेव प रत्थ लोए ।। जे वज्ज एए सया उ दोसे सुव्वए होइ मुणीण मज्झे I अयंसि लोए अमयं व पूइए आराहए दुहओ लोगमिणं ।। त्ति बे से o सत्तरसमं अज्झयणं सम्मत्तं • अट्ठारसमं अज्झयणं- 'संजइज्जं' • पावसमणि त्ति वुच्चई ।। द्धे अ निग पावसमणि त्ति वुच्चई || अहम्मे अत्तपन्नहा पावसमणि त्ति वुच्चई || जत्थ तत्थ निसीयई पावसमणि त्ति वु चई सेज्जं न पडिलेह " 9 " [38] I ऊदिण्णबलवाहणे मिगव्वं उव निग्गए || रहाणी तहवे य सव्वओ परिवारिए || I I I | | I I I I [४३-उत्तरज्झयणं]
SR No.003785
Book TitleAgam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages112
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 43, & agam_uttaradhyayan
File Size2 MB
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