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________________ अज्झयणं-३६ [१६४८] पलिओवमाइं ति न्नि उ आउट्ठिई थलयराणं " [१६४९] पलिओवमाइं ति न्नि उ 3 [१६५०] कायठिई थलयराणं पुव्वकोडिपुहत्तेणं अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। अनंतकालमुक्कोसं, [ १६५१] विजढंमि सए का चम्मे य लोमपक्खी य [१६५२] विययपक्खी य बोधव्वा लोएगदेसे ते सव्वे [१६५३ ] संतई पप्पणाइया ठिइं पडुच्च साइया [१६५४ ] पलिओवमस्स भागो आउठिई खराणं [१६५५] असंखभागो पलियस्स पुव्वकोडी पुहत्तेणं [ १६५६ ] कायठिई खहयराणं अनंतकालमुक्कोसं, [१६५७] एएसिं वण्णओ चेव संठाणादेसओ वावि [१६५८] मनुया दुविह भेया उ 3 संमुच्छिमा य मणुया [१६५९ ] गब्भवक्कंतिया जे उ 3 कम्मअकम्मभूमा य [१६६०] पन्नरस-तीसइविहा, संखा उ कमसो तेसिं [दीपरत्नसागर संशोधितः] " " 3 " 3 " " 3 " [१६६१] समुच्छिमाण एसेव लोगस्स एगदेसं मि, [१६६२] संतई पप्पणाइया ठिइं पडुच्च साइया [१६६३] पलिओवमाइं ति न्नि उ आउट्ठई मनुयाणं, [ १६६४] पलिओवमाइं ति न्नि उ, पुव्वकोडि णं, अंतर सिमं भवे I अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ।। थलयराणं अंतरं तु तइया समुग्गपक्खिया । पक्खिणो य चउव्विहा । न सव्वत्थ वियाहिया । अपज्जवसिया वि य । सपज्जवसिया विय ॥ असंखेज्जइमो भवे । अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। उक्कोसेण उ साहिया । अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। अंतरं तेसिमं भवे । उक्कोसेण वियाहिया । अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। उक्कोसेण वियाहिया । 3 भेओ होइ वियाहिओ । सव्वे विवियाहिया || अपज्जवसिया वि य़ । सपज्जवसिया विय ।। उक्कोसेण वियाहिया । अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। उक्कोसेण वियाहिया । अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। [106] अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ।। गंधओ रस- फासओ । विहाणाइं सहस्सओ || ते मे कित्तयओ सुण । गब्भवक्कंतिया तहा ।। तिविहा ते वियाहिया । अंतरद्दीवया तहा || भेया दुअट्ठवीस ई । इइ एसा वियाहिया || I I [४३-उत्तरज्झयणं]
SR No.003785
Book TitleAgam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages112
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 43, & agam_uttaradhyayan
File Size2 MB
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