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सुत्तं अत्थं उभयं जाणंति अनुट्ठयंति सया [७२५] अट्ठ-नाण-दंसण चारित्तायार नव-चउक्कंमि ।
अनिगूहिय-बल-विरिए अगिलाए धणियमाउत्ते [७२६] गुरुणा खर-फरुसानिट्ठ दुट्ठ-निढुर-गिराए सयहुत्तं ।
भणिरे नो पडिसूरिं ति जत्थ सीसे तयं गच्छं [७२७] तवसा अचिंत-उप्पन्न-लद्धि-साइसय-रिद्धि-कलिए वि | जत्थ न हीलेंति गुरुं सीसे तं गोयमा
! गच्छं [७२८1 तेसद्रि-ति-सय-पावाउयाण विजया विढत्त-जस-पंजे । जत्थ न हीलेंति गुरुं सीसे तं गोयमा
! गच्छं [७२९] जत्थाखलियममिलियं अव्वाइद्धं पयक्खर-विसुद्धं ।
विनओवहाण-पुव्वं दुवालसंग पि सुय-नाणं [७३०] गुरु-चलण-भत्ति-भर निब्भरेक्क-परिओस लखमालावे । अज्झीयंति सुसीसा एगठगमना स गोयमा
! गच्छे [७३१] स-गिलाण-सेह-बालाउलस्स गच्छस्स दसविहं विहिणा ।
कीरइ वेयावच्चं गुरु-आणत्तीए तं गच्छं [७३२] दस-विह-सामायारी जत्थट्ठिए भव्व-सत्त-संघाए |
सिझंति य बुझंति य न य खंडिज्जइ तयं गच्छे अज्झयणं-५, उद्देसो
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[७३३] इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया ।
आउंछणा य पडिपच्छा छंदणा य निमंतणा उवसंपया य काले सामायारी भवे दस-विहाओ [७३४] जत्थ य जिट्ठ-कनिट्ठो जाणज्जइ जेट्ठ-विनय दिवसेणं वि जो जेट्ठो नो हीलिज्जइ तयं गच्छं [७३५] जत्थ य अज्जा कप्पं पाण-च्चाए वि रोरव-दभिक्खे ।
न य परिभुज्जइ सहसा गोयम गच्छं तयं भणियं [७३६] जत्थ य अज्जाहि समं थेरा वि न उल्लवंति गय-दसना ।
न य निज्झायंतित्थी अंगोवंगाइं तं गच्छं [७३७] जत्थ य संनिहि-उक्खड-आहड-मादीण नाम-गहणे वि ।
पूइ-कम्माभीए आउत्ता कप्प तिप्पंति [७३८] जत्थ य पच्चंगुब्भड-दुज्जइ-जोव्वण-मरट्ट-दप्पेणं ।
वाहिज्जंता वि मुनी निक्खंति तिलोत्तमं पि तं गच्छं [७३९] वाया-मित्तेण वि जत्थ भट्ट-सीलस्स निग्गहं विहिणा ।
बहु-लद्धि-जुयस्सावी कीरइ गुरुणा तयं गच्छं [७४०] मउए निय-सहावे हास-दव-वज्जिए विगह-मुक्के ।
असमंजसमकरेंते गोयर-भूमट्ठ विहरंति दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह