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[१] पाएहिं जणदणुं जंघ निउम्मेहिं तिविक्कम । नाहिहिं पव्वनाभु हियए हरु भुएहिं महुसूदणु ।
मत्थइ देउ अनंतु एहिं अत्थ सिक्खणं धेप्पिस्सं ।।
तओ एयाए पवर-विज्जाए विहीए अत्ताणगं समहिमंतिऊण इमे य सत्तक्खरे उत्तमंगोभय-खंध-कुच्छी चलणतलेसु नसेज्जा तं, जहा- अ उ म् [ओं] उ त्तमंगे क् उ [कु] वामखंध-गीवाए र उ [रु] वाम कुच्छीए क् उ [कु] वाम चलणयले ल ए [ले] दाहिण चलणयले [स् व् अ आ स्वा] दाहिण-कुच्छीए ह् अ अ- [हा] दाहिण-खंध-गीवाए |
[१३९७] दुसुमिण दुन्निमित्ते गह-पीडुवसग्ग मारि-रिट्ठ-भए । वासासणिविज्जूए वायारी महाजन-विरोहे ।। [१३९८] जं चत्थि भयं लोगे तं सव्वं निद्दले इमाए विज्जाए | सण्हढे मंगलयरे रिद्धियरे पावहरे सयलवरक्खयसोक्खदाई । काउमिमे पच्छित्ते जइ न तु णं तब्भवे सिज्झे ।। [१३९९] ता लहिऊण विमाणगई सुकुलुप्पत्तिं दुयं च पुणो बोहिं । सोक्ख परंपरएणं सिज्झे कम्मटुं बंधरयमलविमुक्के ।।
गोयमो त्ति बेमि [१४००] से भयवं ! किमेयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं-विहाणं जेणेवमाइसे ? गोयमा ! एय सामण्णेणं दुवालसण्ह-काल-मासाणं पइदिन-महन्निसानुसमयं पाणोवरमं जाव स-बाल वुड्ढ-सेहमयहरायरिय-माईणं तहा य अपडिवाइ-महोवहि-मनपज्जवनाणी छउमत्थ-तित्थयराणं एगंतेणं अब्भुट्ठाणारिहावस्सगसंबंधेयं चेव सामण्णेणं पच्छित्तं समाइडं नो णं एयाणुमेत्तमेव पच्छित्तं । से भयवं ! किं अपडिवाइ-महोवही-मन-पज्जवनाणी छउमत्थ-वीयरागे य सयलावस्सगे समणुट्ठीया ? गोयमा ! समणुट्ठीया, न केवलं समणुट्ठीया जमग-समगमेवानवरयमणुट्ठीया ।
से भयवं ! कहं ? गोयमा! अचिंत-बल-वीरिय-द्धि-नाणाइसय-सत्ती-सामत्थेणं । से भयवं! के णं अटेणं ते समणुट्ठीया ? गोयमा ! मा णं उस्सुत्तुम्मग्गपवत्तणं मे भवउ त्ति काऊणं ।
[१४०१] से भयवं किं तं सविसेसं पायच्छित्तं जाव णं वयासि ? गोयमा ! वासारत्तियं पंथगामियं वसहि पारिभोगियं गच्छायारमइक्कमणं संघायारमइक्कमणं गुत्ती-भेय-पयरणं सत्त-मंडलीधम्माइक्कमणं अगीयत्थं गच्छ-पयाण-जायं कुसील-संभोगजं अविहीए पव्वज्जा-दाणोवट्ठावणा जायं अओग्गस्स सुत्तत्थोभयपन्नवणजायं अणाययणेक्क-खण-विरत्तणा-जायं देवसियं राइयं पक्खियं मासियं चाउम्मासियं संवच्छरियं एहियं पारलोइयं मूल-गुण-विराहणं उत्तर-गुण-विराहणं आभोगानाभोगयं आउट्टिपमाय-दप्प-कप्पियं वय-समण-धम्म-संजम-तव-नियम-कसाय-दंड-गुत्तीयं मय-भय-गारव-इंदियजं वसणायंक-रोद्द-दृज्झाण राग-दोस-मोह-मिच्छत्त-दुट्ठ-कूर-ज्झवसाय-समुत्थं ममत्तं-मुच्छा-परिग्गहारंभजं अज्झयणं-७ / चूलिका-१
असमिइत्त-पट्ठी-मंसासित्त धम्म-तराय-संताव्व्वेवगासमा-हाणप्पायगं संखाईया आसायणा-अन्नयरा आसा
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३९-महानिसीह