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गाहा-३३
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[३३] मोसाइसु मेहुण-वज्जिएसु दव्वाइ-वत्थु-भिन्नेसु ।
हीने मज्झुक्कोसे आसणमायाम-खमणाइं ।।। [३४] लेवाडय-परिवासे अभत्तट्ठो सक्क-सन्निहीए य
इयराए छट्ठ-भत्तं अट्ठमगं सेस-निसिभत्ते ।। [३५] उद्देसिय-चरिम-तिगे कम्मे पासंड-स-घर-मीसे य
बायर-पाहुडियाए सपच्चवायाहडे लोभे ।। [३६] अइरं अनंत-निक्खित्त-पिहिय-साहरिय-मीसयाईसु ।
संजोग-स-इंगाले दुविह-निमित्ते य खमणं तु ।। [३७] कम्मुद्देसिय-मीसे धायाइ-पगासणाइएसुं च
पुर-पच्छ-कम्म-कुच्छिय- संसत्तालित-कर-भत्ते ।। अरं परित्त-निक्खित्त- पिहिय-साहरिय-मीसयाईसु । अइमाण-धूम-कारण विवज्जए विहिय मायाम ।। अज्झोयर-कड-पूइय- माया नंते परंपरगए य ।
मीसानंतानंतरगया इए चे गमासणयं ।। [४०] ओह-विभागुद्देसोवगरण- पूईय- ठविय- पागडिए
लोउत्तर-परियट्टिय- पमिच्च-पर भावकीए य ।। [४१] सग्गामाहड-दद्दर- जहन्नमालोहडोझरे पढमे
सहम-तिगिच्छा-संथव- तिग-मक्खिय-दायगो वहए ।। पत्तेय-परंपर-ठविय- पिहिय-मीसे अनंतराईसु पुरिमड्ढं संकाए जं संकइ तं समावज्जे ।। इत्तर-ठविए सुहमे ससणिद्ध-ससरक्ख-भक्खिए चेव । मीस-परंपर-ठवियाइएसु बीएसु याविगई ।। सहसाऽनाभोगेणव जेसु पडिक्कमणमभिहियं तेसु आभोगओत्ति बहुसो- अइप्पमाणे य निव्विगई ।। धावण-डेवण-संघरिस- गमण-किड्डा-कुहावणाईसु
उक्कुट्ठि-गीय-छेलिय- जीवरुयाईस् य चउत्थं ।। [४६] तिविहोवहिणो विच्चय- विस्सारिय उपेहियानिवेयणए ।
निव्वीय-परिममेगासणाइ सव्वम्मि चायामं ।। हारिय-धो-उग्गमिया निवेयणा दिन्न-भोग-दानेसु
आसन-आयाम-चउत्थगाइ सव्वम्मि छटुं तु ।। [४८] मुहनंतय-रयहरणे फिडिए निव्वीययं चउत्थं च
नासिय-हारविए वा जीएण चउत्थ-छट्ठाई ।। [४९] कालऽद्धाणाईए निव्विइयं खमणमेव परिभोगे
अविहि-विगिचणियाए भत्ताईणं तु पुरिमड्ढं ।। [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३८/१-जीयकप्पो ]
[४७] हारियो
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