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________________ [१७८] तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स, तीसवासपरियायाए समणीए निग्गंथी ए कप्पइ उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए । [१७९] पंचवासपरियायस्स समणस्स निग्गंथस्स सट्ठिवासपरियायाए समणीए निग्गंथीए कप्पड़ आयरियत्ताए उद्दिसित्तए । [१८०] गामानुगामं दूइज्जमाणे भिक्खू य आहच्च वीसंभेज्जा तं च सरीरगं केइ साहम्मिया पासेज्जा, कप्पड़ से तं सरीरगं मा सागारियंमि त्ति कट्टु तं सरीरगं एगंत थंडिले बहुफा पडिलेहित्ता पमज्जित्ता परिट्ठवेत्तए, अत्थि या इत्थ केइ साहम्मियसंतिए उवगरणजाए परिहरणारिहे कप्पड़ णं से सागारकडं गहाय दोच्चं पि ओग्गहं अणुण्णवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए । [१८१] सागारिए उवस्सयं वक्कएणं पउंजेज्जा, से य वक्कइयं वएज्जा इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंति ? से सागारिए पारिहारिए, से य नो वएज्जा वक्कइए वएज्जाइमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंतु, से सागारिए पारिहारिए, दो वि ते वज्ज अयंसि अयंसि ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंतु दो वि सागारिया पारिहारिया । [१८२] सागारिए उवस्सयं विक्किणेज्जा से य कइयं वएज्जा इमम्मि य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंति, से सागारिए पारिहारिए, से य नो वएज्जा, कइए वएज्जा - इमम्मि उद्देसो-७ य इमम्मि य ओवासे समणा निग्गंथा परिवसंतु से सागारिए पारिहारिए, दो वि ते वएज्जा० दोवि सागारिया पारिहारिया । [१८३] विहवधूया नातिकुलवासिणी सावि ताव ओग्गहं अणुन्नवेयव्वा सिया किमंग पुण पिया वा भाया वा पुत्ते वा से य दो वि ओग्गहे ओगेण्हियव्वे । [१८४] पहिए वि ओग्गहं अणुण्णवेयव्वे । [१८५] से रायपरियट्टेसु संथडेसु अव्वोगडेसु अव्वोच्छिन्नेसु अपरपरिग्गहि भावस्स अट्ठाए सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ अहालंदमवि ओग्गहे । [१८६] से य रज्जपरियट्टेस असंथडेसु वोगडेसु वोच्छिन्नेसु परपरिग्गहिएसु भिक्खुभाव अट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अणुण्णवेयव्वे । सत्तमो उद्देसो समत्तो • • अट्ठमो उद्देस [१८७] गाहा उदू पज्जोसविए ताए गाहाए ताए पएसाए ताए उवासंतराए जमिणं - जमिणं सेज्जासंथारगं लभेज्जा तमिणं - तमिणं-ममेव सिया, थेरा य से अणुजाणेज्जा तस्सेव सिया, थेरा य से नो अणुजाणेज्जा एवं से कप्पड़ अहाराइणियाए सेज्जासंथारगं पडिग्गाहेत । [दीपरत्नसागर संशोधितः] - o Jain Education International [१८८] से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे हेमंतगिम्हासु भविस्सइ । [१८९] से य अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेज्जा, जं चक्किया एगेणं हत्थेणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्धाणं परिवहित्तए एस मे वासावासासु भविस्सइ । o [20] For Private & Personal Use Only [३६-ववहारो] www.jainelibrary.org
SR No.003771
Book TitleAgam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages30
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size2 MB
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