SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्वे, तंसि च णं समुक्किटुंसि परो वएज्जा दुस्समुक्किटुं ते अज्जो ! निक्खिवाहि, तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केइ छए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो उहाए विहरंति सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा । [१०८] आयरिय-उवज्झाए ओहायमाणे अन्नयरं वएज्जा - अज्जो ! ममंसि णं ओहावियंसि उद्देसो-४ समाणंसि अय समुक्कसियव्वे, से य समुक्कसणारिहे समुक्कसियव्वे, से य नो समुक्कसणारिहे नो समुक्कसियव्वे, अत्थि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से समुक्कसियव्वे, नत्थि या इत्थ अन्ने केइ समुक्कसणारिहे से चेव समुक्कसियव्वे, तंसि च णं समुक्किट्ठसि परो वएज्जा दुस्समुक्किट्ठ ते अज्जो ! निक्खिवाहि. तस्स णं निक्खिवमाणस्स नत्थि केई छए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया कई छए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो उहाए विहरंति सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा । [१०९] आयरिय-उवज्झाए सरमाणे परं चउरायाओ पंचरायाओ कप्पागं भिक्खं नो उवट्ठावेइ अत्थि या इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए, नत्थि याइं से केइ छए वा परिहारे वा, नत्थि या इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा । [११०] आयरिय-उवज्झाए असरमाणे परं चउरायाओ पंचरायाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ अत्थि या इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए नत्थि से केइ छए वा परिहारे वा नत्थि या इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा ।। [१११] आयरिय-उवज्झाए सरमाणे वा असरमाणे वा परं दसरायकप्पाओ कप्पागं भिक्खु नो उवट्ठावेइ अत्थि याइं त्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाइ नत्थि याइं से केइ छए वा परिहारे वा नत्थि या इत्थ से केइ माणणिज्जे कप्पाए संवच्छरं तस्स तप्पत्तियं नो कप्पड़ आयरियत्तं उद्दिसित्तए । [११२] भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म अन्नं गणं उवसंपज्जित्ताणं विहरेज्जा, तं च केइं साहम्मिए पासित्ता वएज्जा कं अज्जो ! उवसंपज्जित्ताणं विहरसि ? जे तत्थ सव्वराइणिए तं वएज्जा, अह भंते कस्स कप्पाए ?, जे तत्थ सव्वबह्सुए तं वएज्जा, जं वा से भगवं वक्खइ तस्स आणा-उववायवयणनिद्देसे चिट्ठिस्सामि | [११३] बहवे साहम्मिया इच्छेज्जा एगयओ अभिनिचारियं चारए, नो ण्हं कप्पड़ थेरे अनापुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए, कप्पइ ण्हं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चारए, थेरा य से वियरेज्जा एवं ण्हं कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चारए, थेरा य से नो वियरेज्जा एवं ण्हं नो कप्पड़ एगयओ अभिनिचारियं चारए, जं तत्थ थेरेहिं अविइण्णे अभिनिचारियं चरंति से संतरा छेए वा परिहारे वा । [११४] चरियापविढे भिक्खू जाव चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा सच्चेव आलोयणा सच्चेव पडिक्कमणा सच्चेव ओग्गहस्स पुव्वाणुण्णवणा चिट्ठइ, अहालंदमवि ओग्गहे । [११५] चरियापविढे भिक्खू परं चउरायाओ पंचरायाओ थेरे पासेज्जा पुणो आलोएज्जा पुणो पडिक्कमेज्जा पुणो छेय-परिहारस्स उवढाएज्जा भिक्खुभावस्स उट्ठाए दोच्चं पि ओग्गहे अणुण्णवेयव्वे सिया कप्पड़ से एवं वदित्तए - अनुजाणह भंते ! मिओग्गहं अहालंदं धुवं नितियं निच्छइयं जं वेउट्टियं, तओ पच्छा कायसंफासं । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [३६-ववहारो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003771
Book TitleAgam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages30
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy