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________________ उद्देसो-३ ० तइओ-उद्देसो ० [६६] भिक्खू य इच्छेज्जा गणं धारेत्तए भगवं च से अपलिच्छिन्ने एवं से नो कप्पड़ गणं धारेत्तए, भगवं च से पलिच्छिन्ने एवं से कप्पड़ गणं धारेत्तए । [६७] भिक्खू य इच्छेज्जा गणं धारेत्तए, नो से कप्पड़ थेरे अनापुच्छित्ता गणं धारेत्तए, कप्पड़ से थेरे आपुच्छित्ता गणं धारेत्तए, थेरा य से वियरेज्जा एवं से कप्पड़ गणं धारेत्तए, थेरा य से नो वियरेज्जा एवं से नो कप्पड़ गणं धारेत्तए, जण्णं थेरेहिं अविइण्णं गणं धारेज्जा से संतरा छेए वा परिहारे वा, जे ते साहम्मिया उट्ठाए विहरंति नत्थि णं तेसिं केइ छेए वा परिहारे वा | [६८] तिवासपरियाए समणे निग्गंथे आयारकुसले संजमकुसले पवयणकुसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे असबलायारे अभिन्नायारे असंकिलिट्ठायारे बहुस्सुए बज्झागमे जहन्नेणं आयारपकप्पधरे कप्पइ उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए । ____ [६९] स च्चेव णं से तिवासपरियाए समणे निग्गंथे आयारकुसले नो संजमकुसले नो पवयण-कुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे सबलायारे भिन्नायारे संकिलिट्ठायारे अप्पसुए अप्पागमे नो कप्पइ उवज्झायत्ताए पवत्तित्ताए० उद्दिसित्तए । [७०] एवं पंचवासपरियाए समणे निग्गंथे आयारकुसले संजमकुसले पवयणकुसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे असबलायारे अभिन्नायारे असंकिलिट्ठायारे बहुस्सुए बज्झागमे जहण्णेणं दसा-कप्प-ववहारधरे कप्पइ आयरिय उवज्झायत्ताए पवत्तित्ताए० उद्दिसित्तए | [७१] स च्चेव णं से पंचवासपरियाए समणे निग्गंथे नो आयारकसले नो संजमकसले नो पवयणकुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे सबलायारे भिन्नायारे संकिलिट्ठायारे अप्पसुए अप्पागमे नो कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्ताए पवत्तित्ताए उद्दिसित्तए | [७२] अट्ठवासपरियाए समणे निग्गंथे आयारकसले संजमकसले पवयणकसले पन्नत्तिकुसले संगहकुसले उवग्गहकुसले अक्खयायारे असबलायारे अभिन्नायारे असंकिलिट्ठायारे बहुस्सुए बज्झागमे जहन्नेणं ठाण-समवायधरे कप्पड़ से आयरियत्तए उवज्झायत्ताए पवत्तित्ताए थेरत्ताए गणित्ताए गणावच्छेइयत्ताए उद्दिसित्तए । [७३] स च्चेव णं से अट्ठवासपरियाए समणे निग्गंथे नो आयारकुसले नो संजमकुसले नो पवयणकुसले नो पन्नत्तिकुसले नो संगहकुसले नो उवग्गहकुसले खयायारे सबलायारे भिन्नायारे संकिलिट्ठायारे अप्पसुए अप्पागमे नो कप्पइ आयरियत्ताए जाव गणावच्छेइयत्ताए उद्दिसित्तए | [७४] निरुद्धपरियाए समणे निग्गंथे कप्पड़ तद्दिवसं आयरियउवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए से किमाह भंते !?, अत्थि णं थेराणं तहारूवाणि कुलाणि कडाणि पत्तियाणि थेज्जाणि वेसासियाणि संमयाणि सम्मुइकराणि अनुमयाणि बहुमयाणि भवंति , तेहिं कडेहिं तेहिं पत्तिएहिं तेहिं थेज्जेहिं तेहिं वेसासिएहिं तेहिं संमएहिं तेहिं सम्मुइकरेहिं जं से निरुद्धपरियाए समणे निग्गंथे कप्पड़ आयरिय-उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए तद्दिवसं | [७५] निरुद्धतिवासपरियाए समणे निग्गंथे कप्पइ आयरिय-उवज्झायत्ताए उद्दिसित्तए, समुच्छेयकप्पंसि, तस्स णं आयारपकप्पस्स देसे अवट्ठिए अहिज्जिए देसे नो अहिज्जिए से य अहिज्जि - दीपरत्नसागर संशोधितः] [9] [३६-ववहारो] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003771
Book TitleAgam 36 Vavaharo Taiyam Cheyasuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages30
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 36, & agam_vyavahara
File Size2 MB
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