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गाहा-६२८
[६२८] धन्ना उ करंति तवं संजम जोगेहिं कम्ममट्ठविहं ।
तवसलिलेणं मणिणो धुणंति पोराणयं कम्मं || [६२९] नाणमयवायसहिओ सीलुज्जलिओ तवो मओ अग्गी ।
संसारकरणबीयं दहइ दवग्गी व तणरासिं ।। [६३०] इणमो सुगइगइपहो सुदेसिओ उक्खिओ य जिनवरेहिं ।
ते धन्ना जे एयं पहमणवज्जं पवज्जति । [६३१] जाहे य पावियव्वं इह परलोए व होइ कल्लाणं ।
ता एयं जिनकहियं पडिवज्जइ भावओ धम्म ।। [६३२] जह जह दोसोवरमो जह जह विसएसु होइ वेरग्गं ।
तह तह विजाणयाहि आसन्नं से पयं परमं ।। [६३३] दुग्गो भवकंतारे भममाणेहिं सुचिरं पणढेहिं । दिट्ठो जिनोवदिट्ठो सुग्गइमग्गो कह वि लद्धो ।। [६३४] मानुस्स देस कुल काल जाइ इंदिय बलोवयाणं च । विन्नाणं सद्धा दंसणं च दुलहं सुसाहूणं ।। [६३५] पत्तेसु वि एएसुं मोहस्सुदएण दुल्लहो सुपहो ।
सुपहो कुपहबहुयतणेण य विसयसुहाणं च लोभेणं ।। [६३६] सो य पहो उवलद्धो जस्स जए बाहिरो जनो बहओ |
संपत्ति च्चिय न चिरं तम्हा न खमो पमाओ भे ।। [६३७] जह जह दढप्पइण्णो समणो वेरग्गभावनं कुणइ । तह तह असुभं आयवहयं व सीयं खयमुवेइ ।। [६३८] एग अहोरत्तेण वि दढपरिणामो अनुत्तरं जंति । कंडरिओ पुंडरिओ अहरगई उड्ढ गमनेसु ।। [६३९] बारस वि भावनाओ एवं संखेवओ समत्ताओ |
भावेमाणो जीवो जाओ समुवेइ वेरग्गं । [६४०] भाविज्ज भावनाओ पालिज्ज वयाई रयणसरिसाइं ।
विखमणे अइरा सिद्धिं पि पावहिसि ।। [६४१] कत्थइ सुहं सुरसमं कत्थइ निरओवमं हवइ दुक्खं ।
कत्थइ तिरियसरित्थं मानुसजाई बहुविचित्ता ।। [६४२] ठुण वि अप्पसुहं मानुस्सं नेगदोससंजुतं । सुठु वि हियमुवइटें कज्जं न मुणेइ मूढजनो ।। [६४३] जह नाम पट्टणगओ संते मुल्लंमि मूढभावेणं ।
न लहंति नरा लाहं मानुसभावं तहा पत्ता ।। [६४४] संपत्ते बल विरिए सब्भावपरिक्खणं अजाणता | न लहंति बोहिलाभं दुग्गइमग्गं च पावंति ।।
[दीपरत्नसागर-संशोधितः]
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[३३/१|मरणसमाहित