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गाहा-६११
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[६११] ईसा विसाय मय कोह लोह दोसेहिं एवमाईहिं ।
देवा वि समभिभूया तेसु वि य कओ सुहं अत्थि [६१२] एरिसयदोसपुण्णे खुतो संसारसायरे जीवो ।
जं अइचिरं किलिस्सइ तं आसवहेऽयं सव्वं ।। [६१३] राग-द्दोसपमत्तो इंदियवसओ करेइ कम्माइं ।
आसवदारेहिं अविगुहेहिं तिविहेणं करणेणं ।। [६१४] धी धी मोहो जेणिह हियकामो खलु स पावमायरइ ।
न हु पावं हवइ हियं विसं जहा जीवियत्थिस्स ।। [६१५] रागस्स य दोसस्स य धिरत्थु जं नाम सद्दहंतोऽवि |
पावेसु कुणइ भावं आठरविज्ज व्व अहिएसु ।। [६१६] लोभेण अहव घत्थो कज्जं न गणेइ आयअहियंपि ।
अइलोहेण विनस्सइ मच्छु व्व जहा गलं गिलिओ ।। [६१७] अत्थं धम्म कामं तिन्नि वि बुद्धो जनो परिच्चयइ ।
ताई करेइ जेहि 3 किलिस्सइ इह परभवे य ।। [६१८] हुंति अजुत्तस्स विनासगाणि पंचिंदियाणि पुरिसस्स |
उरगा इव उग्गविसा गहिया मंतोसहीहि विनो ।। [६१९] आसवदारेहिं सया हिंसाईएहिं कम्ममासवइ ।
जह नावाइ विनासो छिद्देहि जलं उयहिमज्झे ।। [६२०] कम्मासवदाराई निरूभियव्वाइं इंदियाइं च | हंतव्वा य कसाया तिविहं तिविहेण मुक्खत्थं ।। [६२१] निग्गहिय कसाएहिं आसवा मूलओ हया हुंति ।
अहियाहारे मुक्के रोगा इव आउरजनस्स | [६२२] नाणेण य झाणेण य तवोबलेण य बला निरूंभंति ।
इंदिय विसय कसाया धरिया तुरगा व रज्जूहिं ।। [६२३] हंति गुणकारगाइं सुयरज्जूहिं धणियं नियमियाई । नियगाणि इंदियाई जइणो तुरगा इव सुदंता ।। [६२४] मन वयण कायजोगा जे भणिया करणसण्णिया तिन्नि ।
ते जुत्तस्स गुणकरा हुंति अजुत्तस्स दोसकरा | [६२५] जो सम्मं भूयाइं पासइ भूए अ अप्पभूए य ।
कम्ममलेण न लिप्पइ सो संवरियाऽऽसवदुवारो ।। [६२६] धन्ना सत्तहियाइं सुगंति धन्ना करंति सुणियाइं ।
धन्ना सुग्गइमग्गं मरंति धन्ना गया सिद्धिं ।। [६२७] धन्ना कलत्तनियलेहिं विप्पमुक्को सुसत्तसंजुत्ता । वारीओ व गयवरा घरवारीओ वि निप्फिडिया ।।
[दीपरत्नसागर-संशोधितः]
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[३३/१|मरणसमाहित