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________________ हरियालिया इ वा हरियालभेदे इ वा हरियालगुलिया इ वा चिउरे इ वा चिउरंगराते इ वा वरकण वरकणगनिघसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अल्लकीकुसुमे इ वा चंपाकुसुमे इ वा कुहंडि याकुसुमे इ वा सूत्तं-१५ कोरंटकदामे इ वा तडवडकुसुमे इ वा घोसेडियाकुसुमे इ वा सुवण्णजूहियाकुसुमे इ वा सुहिरण्णकुसुमे इ वा बीययकुसुमे इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरे इ वा पीयबंधुजीवे इ वा भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं हालिद्दा मणी एत्तो इट्ठतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ता । तत्थ णं जे ते सुक्किला मणी तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते । से जहानामए-अंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुंदे इ वा दंते इ वा कुमुद उदक- दयरय - दहिघण- खीर खीरपूरेइ वा कोंचावली इ वा हारावली इ वा हंसावली इ वा बलागावली इ वा चंदावली इ वा सारतिय-लाह इ धंतधोयरूप्पट्टे इ वा सालिपिट्ठरासी इ वा कुंदपुप्फरासी इ वा कुमुदरासी इ वा सुक्कच्छिवाडी इवा पिहुणमिंजिया इ वा भिसे इ वा मुणालिया इ वा गयदंते इ वा लवंगदलए इ वा पोंडरियदलए इ वा सेयासोगे इ वा सेयकणवीरे इ वा सेयबंधुजी- वे इ वा भवे एया-रूवे सिया ? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं सुकिला मणी एत्तो इट्ठतराए चेव जाव वण्णेणं पन्नत्ता । तेसि णं मणीणं इमेयारूवे गंधे पन्नत्ते, से जहानामए- कोट्ठपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चोयपुडाणं वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदणपुडाण वा उसीरपुडा मरुआपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा ण्हाणमल्लियापुडाण वा केतगिपुडाण वा पाडलिपुडाण वा नोमालि- यापुडाण वा अगुरुपुडाण वा लवंगपुडाण वा वासुपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अनुवायंसि वा ओभिज्जमाणाण वा कोट्टिज्जमाणाण वा भंजिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमााण वा विक्किरिज्माणाण वा परिभुज्ज-माणाण वा भंडाओ भंडं साहरिज्जमाणाण वा ओराला मणुण्णा मणहरा घाणमणनिव्वुतिकरा सव्वओ समंता गंधा अभिनिस्सवंति, भवे एयारूवे सिया? नो इणट्ठे समट्ठे, ते णं मणी तो इट्ठतराए चेव गंधेणं पन्नत्ता | तेसि णं मणीणं इमेयारूवे फासे पन्नत्ते से जहा- नामए- आइणेइ वा रूए इ वा बूरे इ वा नवणीए इ वा हंसगब्भतूलिया इ वा सिरीस - कुसुमनिचये इ वा बालकुमुदपत्तरासी इ वा भवे यावे सिया नो इण समट्ठे, ते णं मणी एत्तो इट्ठतराए चेव जाव फासेणं पन्नत्ता । तणं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं पिच्छाघरमंडवं विउव्वइ- अणेगखंभसयसन्निविट्ठे अब्भुग्गय-सुकय- वइरवेड्या-तोरणवररड्य-सालभंजियागं सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-लट्ठ-संठिय-पसत्थ-वेरुलिय-विमलखंभ नाणामणि कणगरयण-खचियउज्जलबहुन्म-समसुविभत्तदेस भाइए ईहामिय-उसभ- तुरग - नर-मगर - हग-वालग किन्नर - रुरु- सरभ- चमर-कुंजर-वणलय- पउमलयभत्तिचित्तं कंचणमणिरयण-थूभियागं नाणाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिहरं चवलं मरीतिकवयं विणिम्मुयंतं लाउल्लोइयमहियं गोसीस - सरस-रत्तचंदण - दद्दर- दिन्नपंचगुतलं उवचियचंदणकलसं वंदणघडसुकय-तोरणपडिदुवारदेसभागं आसत्तोसत्तविउल-वट्टवग्घारियमल्लादामकलावं पंचवण्णसरससुरभि-मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागरुं-पवर-कुंदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघमघेंतगंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं दिव्वं तुडियसद्दसंपणाइयं अच्छर-गण-संघ - विकिण्णं पासाइयं देरिसणिज्जं जाव पडिरूवं । तस्स णं पिच्छाघरमंडवस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति जाव मणीणं फासो । तस्स णं पेच्छाघरमंडवस्स उल्लोयं विउव्वति-पउमलयभत्तिचित्तं अच्छं जाव पडिरुवं । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [8] [१३-रायपसेणियं]
SR No.003725
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Beiam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages62
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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