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________________ सूत्तं-१३ [१३] तए णं से सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणीया देवा य देवीओ य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हद्वतुट्ठ-जाव हियया अप्पेगइया वंदणवत्तिया अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सक्कारवत्तियाए अप्पेगइया सम्माणवत्तियाए अप्पेगइया कोऊहलवत्तियाए अप्पेगइया असुयाई सुणिस्सामो अप्पेगइया सुयाइं अट्ठाइ हेऊइं पसिणाइं कारणाई वागरणाइं पुच्छिस्सामो, अप्पेगइया सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्तमाणा अप्पेगइया अण्णमण्णमणुयत्तमाणा अप्पेगइया जिणभतिरागेणं अप्पेगइया धम्मो त्ति अप्पेगइया जीयमेयं ति कट्ट सव्विड्ढीए जावं अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवंति । [१४] तए णं से सूरीयाभे देवे ते सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य सव्विड्ढीए जाव अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउब्भवमाणे पासति पासित्ता हट्टतुट्ठ-जाव हियए आभिओगियं देवं सद्दावेति सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखंभसय-सण्णिविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं ईहामिय-उसभ-तुरग-नर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलयपउमलयभत्तचित्तं खंभुग्गय-वइरवेइया-परिगयाभिरामं विज्जाहर-जमलजुयल-जंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं घंटावलिचलिय-महर-मणहरसरं सुहं कंतं दरिसणिज्जं निउणओचिय-मिसिमिसेंत-मणिरयण-घंटियाजाल-परिक्खित्तं जोयणसय-सहस्सवित्थिण्णं दिव्वं गमणसज्जं सिग्घगमणं नामं जाणविमाणं विउव्वाहि, विउव्वित्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । [१५] तए णं से आभिओगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे जाव हियए करयलपरिग्गहियं जाव पडिसुणेइ पडिसुणित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाई जाव अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ परिसाडित्ता अहासुहमे पोग्गले परियाएइ परियाइत्ता दोच्चं पि वेउव्विय-समुग्घाएणं समोहण्णति समोहणित्ता अणेगखंभसयसण्णिविढे जाव जाणविमाणं वेउव्विउं पवत्ते यावि होत्था । तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स तिदिसिं तिसोवाणपडिरूवए विउव्विति तं जहा- पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, तेसिं तिसोवाण-पडिरूवगाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा- वइरामया निम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पामया फलगा लोहियतक्खमइयाओ सूईओ वइरामया संधी नाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणाबाहाओ य पासादीया जाव पडिरूवा । तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणा पन्नत्ता तेसि गं तोरणाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते तं जहा- तेणं तोरणा नानामणिमया नामामणिएस थंभेसु उवनिविद्विसण्णिविट्ठा विविहमुत्तं-तरारूवोवचिया विविहतारारूवोवचिया जाव पडिरूवा | तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं अट्ठमंगलगा पन्नत्ता तं जहा- सोत्थिय-सिरिवच्छ-नंदियावत्तंवद्धमाणग-भद्दासण-मच्छ-दप्पणा जाव पडिरूवा । तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचा-मरज्झए जाव सुक्किलचामरज्झए अच्छे सण्हे रुप्पपट्टे वइरामयदंडे जलयामलगंधिए सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे विउव्वइ । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [6] [१३-रायपसेणिय]
SR No.003725
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Beiam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages62
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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