SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अप्पमहग्घारभणालंकिए जिमियभुत्तुत्तरागएऽवि य णं समाणे पुव्वावरण्हकालसमयंसि गंधव्वेहिं य नाडगेहि य उवनच्चिज्जमाणे उवगाइज्जमाणे उवलालिज्जमाणे इढे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरइ । [५३] तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमार-समणे जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूवसंपन्ने विनयसंपन्ने नाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने लज्जासंपन्ने लाघव-संपन्ने ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियनिद्दे जितिदिए जियप-रीसहे जिवियासमरणभयविप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे करणप्पहाणे चरणप्पहाणे निग्गहप्पहाणे निच्छयप्पहाणे अज्जवप्पहाणे मद्दवपहाणे लाघवप्पहाणे खंतिप्पहाणे गुत्तिप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विज्जप्पहाणे मंतप्पहाणे बंभप्पहाणे वेयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे० चउदसपुव्वी चउनाणोवगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामा-णुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ सावत्थीनयरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हइ ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरड़ । [१४] तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापहपहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणउम्मी इ वा जणसण्णिवाए इ वा जाव तए णं तस्स सारहहिस्स तं महाजणसदं च जणकलकलं च सुणेत्ता य पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था किं णं अज्ज जाव सावत्थीए नयरीए इंदमहे इ वा खंदमहे इ वा रुद्दमहे इ वा मउंदमहे इ वा सिवमहे इ वा वेसमणमहे इ वा नागमहे इ वा जक्खमहे इ वा भूयमहे इ वा थूभमहे इ वा चेइयमहे इ वा रुक्खमहे इ वा गिरिमहे इ वा दरिमहे इ वा अगडमहे इ वा नईमहे इ वा सरमहे इ वा सागरमहे इ वा जं णं इमे बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा राइण्णा इक्खागा नाया कोरव्वा जाव इब्भा इब्भ-पुत्ता० ण्हाया कयबलिकम्मा जहोववाइए जाव अप्पेगतिया हयगया, अप्पेगतिया गयगया जाव पायविहारचारेणं महयामहया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति, एवं संपेहेइ संपेहेत्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेइं सद्दावेत्ता एवं वयासी-किं णं देवाणुप्पिया अज्ज सावत्थीए नगरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा जं णं इमे बहवे सूत्तं-५४ उग्गा उग्गपुत्ता भोगा जाव निग्गच्छंति? | तए णं से कंचुइ-पुरिसे केसिस्स कुमारसमणस्स आगमण-गहिय-विणिच्छए चित्तं सारहिं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया! अज्ज सावत्थीए नयरीए इंदमहे इ वा जाव सागरमहे इ वा जं णं इमे बहवे जाव । विंदावंदएहिं निग्गच्छंति, एवं खलु भो देवाणुप्पिया! पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमार-समणे जातिसंपन्ने जाव गामाणुगाम दूइज्जमाणे इहमागए जाव विहरइ, तेणं अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्भपुत्ता अप्पेगतिया वंदणवत्तियाए महया-महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति, ___ तए णं से चित्ते सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हद्वतुट्ठ-जाव-हियए कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव सच्छत्तं उवट्ठवेंति । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [39] [१३-रायपसेणिय
SR No.003725
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Beiam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages62
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy