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________________ जेणेव बाहिरिया सव्वेव हेढिल्ला वत्तव्वया जाव निसीयइ निसीइत्ता तस्स पवित्ति-वाउयस्स अद्धतेरससयसहस्साई पीइदाणं दलयइ दलइत्ता सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता पडिविसज्जेइ । [२९] तए णं से कूणिए राया भिंभसारपुत्ते बलवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं वयासीखिप्पा मेव भो देवाणुप्पिया! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि हय-गय-रह-पवरजोह-कलियं च चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियक्क-पाडियक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई उवट्ठवेहिं, चंपं नयरिं सब्भिंतर-बाहिरियं० आसित्त-सित्त-सुइ-सम्मट्ठरत्थंतरावण-वीहियं मंचाइमंचकलियं नानाविहरागऊ-च्छियज्झय-पडागाइपडाग-मंडिय लाउल्लो-इयमहियं गोसीस-सरसरत्तचंदण जाव गंधवट्टिभूयं करेहिं य कारवेहिं य करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि, निज्जाइस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदए । [३०] तए णं से बलवाउए कूणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ जाव हियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वयासी- सामि त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता हत्थिवाउयं आमंतेइ आमंतेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कूणियस्स रण्णो भिंभसारपुत्तस्स आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्हेहिं सण्णाहेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । तए णं से हत्थिवाउए बलवाउयस्स एयमहूँ सोच्चा आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता छेयायरिय-उवएस-मइ-कप्पणा-विकप्पेहिं सुणिउणेहिं उज्जलनेवत्थि-हव्व-परिवच्छियं सुसज्ज धम्मिय सण्णद्ध-बद्धकवइयउप्पीलिय-कच्छवच्छ-गेवेज्जबद्धगल-वरभूसणविरायंत अहिय-तेयजुत्तं सललिय वरकण्णपूरविराइयं पलंबओचूल-महुयरकयंधयारं चित्तपरिच्छेयपच्छयं पहरणा-वरण-भरिय-जुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंटे पंचामेलय-परिमंडियाभिरामं ओसारिय-जमल-जुयलघंटे विज्जुपिणद्धं व कालमेहं उप्पाइय सूत्तं-३० पव्वयं व चंकमंतं मत्तं गुलगुलंतं मण-पवण-जइणवेगं भीमं संगामिया-ओज्झइ आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेइ पडिकप्पेत्ता हय-गय रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेइ, सण्णहेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ । तए णं से बलवाउए जाणसालियं सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! सुभद्दापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडियक्क पाडियक्काइं जत्ताभिमुहाई जत्ताई जाणाई उवट्ठवेहि उवट्ठवेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि । तए णं से जाणसालिए बलवाउयस्स एयमढे आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ पडिसुणेत्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता जाणाई पच्चुवेक्खेइ पच्चुवेखेत्ता जाणाइं संपमज्जेइ संपमज्जेत्ता जाणाइं संवट्टेइ संवेदृत्ता जाणाइं नीणेइ नीणेत्ता जाणाणं दूसे पवीणेइ पवीणेत्ता जाणाई समलंकरेइ समलंकरेत्ता जाणाई वरभंडग-मंडियाइं करेइ करेत्ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता वाहणसालं अनुपविसइ अनुपविसित्ता वाहणाई पच्चुवेक्खेइ पच्चुवेक्खेत्ता वाहणाई संपमज्जेइ संपमज्जेत्ता वाहणाइं नीणेइ नीणेत्ता वाहणाई अप्फालेइ अप्फालेत्ता दूसे पवीणेइ पवीणेत्ता वाहणाई समलंकरेइ समलंकरेत्ता वाहणाई वरभंडग-मंडियाइं करेइ करेत्ता वाहणाइं जाणाइं जोएइ जोएत्ता दीपरत्नसागर संशोधितः] [16] [१२-उववाइय]
SR No.003723
Book TitleAgam 12 Uvvaeam Padhamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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