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________________ वराह-छगल-दडुर-हय-गयवइ-भुयग-खग्ग-उसभंक-विडिम-पागडिय-चिंधमउडा पसिढिल-वरमउडतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा मउड-दित्त-सिरया रत्ताभा पउम-पम्हगोरा सेया सुभवण्णगंधफासा उत्तमवेउव्विणो विविहवत्थगंधमल्लधारी महिड्ढिया जाव पज्जुवासंति । [२७] तए णं चंपाए नयरीए सिंधाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु महया जणसद्देइ वा जणवूहेइ वा जणबोलेइ वा जणकलकलेइ वा जणुम्मीइ वा जणुक्कलियाइ वा जणसण्णि-वाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवामाइक्खड़ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ-एवं खल देवाणप्पिया! समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसोत्तमे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए नयरीए बहिया पुन्नभद्दे चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महप्फलं खल भो देवाणप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए?, एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए? किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासोमो । एयं णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइत्ति कट्ट...... बहवे उग्गा उग्गपत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुपडोयारणं-राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अन्ने य बहवे राईसर-तलवर-माइंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइसत्यवाहप्पभितयो अप्पेगइया वंदणवत्तियं अप्पेगइया पूयणवत्तियं एवं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं अट्ठविणिच्छयहेडं अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्संकियाइं करिस्सामो अप्पेगइआ अट्ठाई हेऊइं कारणाइं वागरणाइं पुच्छिस्सामो । सूत्तं-२७ अप्पेगइया सव्वओ समंतो मुंडे भविता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सामो, अप्पेगइया पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामो, अप्पेगइया जिणभत्तिरागेणं अप्पेग-इया जीयमेयंति कट्ट ण्हाया कयबलिकम्मा कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता सिरसा कंठे मालकडा आविद्ध-मणि-सुवण्णा कप्पिय-हारद्धहार-तिसर-पालंब-पलंबमाण-कडिसुत्त-सुकयसोहाभारणा पवरत्थपरिहिया चंदणो-लित्तगायसरीरा | अप्पेगइया हयगया एवं गयगया रहगया सिबियागया संदमाणियागया अप्पेगइया पायविहार-चारेणं पुरिसवग्गुरा-परिक्खित्ता महया उक्किट्ठसीहणाय-बोल-कलकल-रवेणं पक्खुभियमहासमुद्दरवभूयंपिव करेमाणा चंपाए नयरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति निग्गच्छित्ता जेणेव पुन्नभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादीए तित्थगराइसेसे पासंति पासित्ता जाणवाहणाई ठवेंति ठवेत्ता जाणवाहणेहिंतो पच्चोरुहंति पच्चोरुहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीर तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता | समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति करेत्ता वंदंति नमसंति वंदित्ता मंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति । [२८] तए णं से पवित्ति-वाउए इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हद्वतुट्ठ जाव हियए हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता चंपं नयरिं मज्झमज्झेणं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [15] [१२-उववाइयं]
SR No.003723
Book TitleAgam 12 Uvvaeam Padhamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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