SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वच्छल्लया य तेसि अभिक्ख नाणोवओगे य ।। [ ७८ ] दंसण-विणए आवस्सए य सीलव्वए निरइयारो । खणलव तवच्चिया वेयावच्चे समाही || [७९] अपुव्वनागणे सुयभत्ती पवयण- पहाव I एएहिं कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ सो उ || [८०] तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपिडमं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव एगराइयं उव०, तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति तं जहा- चउत्थं करेंति सव्वकामगुणियं पारेंति, छट्टं करेति चउत्थं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-८ करेंति, अट्ठमं करेंति, छटुं करेंति दसमं करेंति अट्ठमं करेंति, दुवालसमं करेंति दसमं करेंति चाउद्दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति, सोलसमं करेंति चोद्दसमं करेंति, अट्ठारसमं करेंति सोलसमं करेंति, वीसइमं करेंति, अट्ठारसमं करेत्ति वीसइमं करेंति सोलसमं करेंति, अट्ठारसमं करेंति चोद्दसमं करेंति, सोलसमं करेंति, दुवालसमं करेंति चोद्दसमं करेंति दसमं करेंति, दुवालसमं करेंति अट्ठमं करेंति दसमं करेंति छटुं करेंति, अट्ठमं करेंति चउत्थं करेंति, छटुं करेंति चउत्थं करेंति, करेत्ता सव्वत्थ सव्वकामगुणिएणं पारेंति । एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहि य अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आराहिया भवइ तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति नवरं विगइवज्जइ पारेंति, एवं तच्चा वि परिवाडी नवरं पारणए अलेवाडं पारेंति एवं चउत्था वि परिवाडी नवरंपारणए आंबिलेणं पारेंति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा खुड्डागं सीह निक्कीलियं तवोकम्मं दोहिं संवच्छरेहिं अट्ठवीसाए अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंत उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामो णं भंते! महालयं सीहनिक्कीलियं तहेव जहा खुड्डागं नवरं चोत्तीसइमाओ नियत्तइ एगाए परिवाडीए कालो एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पेइ सव्वंपि महालयं सीहनिक्कीलियं छहिं वासेहिं दोहिं मासेहिं बारसहिं य अहोरत्तेहिं समप्पे | तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुतं जाव आराहित्ता जेणेव थेरे भगवंते तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता थेरे भगवंते वंदंति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्ता बहूणि चउत्थ जाव विहरति । तए णं ते महबब्लपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं उरालेणं तवोकम्मेणं सुक्का भुक्खा० जहा खंदओ नवरं थेरे आपुच्छित्ता चारुपव्वयं दुरुहंति जाव दोमासियाए संलेहणाए सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेएत्ता चतुरासीइं वाससयसहस्साइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता चुलसीइं पुव्वसयसहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववण्णा । [८१] तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिई पन्नत्ता, तत्थ णं महब्बलवज्जाणं छण्हं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई महब्बलस्स देवस्स य पडिपुण्णाइं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिई, [दीपरत्नसागर संशोधितः ] [61] [६-नायाधम्मकहाओ]
SR No.003711
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages159
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy