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रूव-गंधेसु जाव सज्जइ रज्जइ गज्झइ मुज्झइ अज्झोववज्झइ से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं य जाव हीलणिज्जे जाव संसारकंतारं अनुपरियट्टिस्सइ ।
[१८७] कल-रिभिय-महुर-तंती-ताल-वंस- कउहाभिरामेसु I सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-१७
सद्देसुरज्जामाणा रमंति सोइंदिय-वसट्टा || [१८८] सोइंदिय-दुद्दंतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । दिविग-रूयमसहंतो वहबंधं तित्तिरो पत्तो || [१८९] थण-जहण-वयण-कर-चरण- नयण-गव्विय-विलासयगई सु रज्जमाणा रमंति चक्खिंदिय-वसट्टा [१९०] चक्खिंदिय-दुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं जलणंमि जलते पडड् पयंगो अबुद्धीओ ॥ [१९१] अगरुवर-पवरधूवण-उउयमल्लाणुलेवणविहीसु
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गंधे जाणा रमंति घाणिंदिय-वसट्टा || [१९२] घाणिंदिय-दुर्द्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जं ओसहिगंधेणं बिलाओ निद्धावई उरगो || [१९३] तित्त-कडुयं कसायं महुरं बहुखज्ज -पेज्ज-लेज्झे
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आसायंमि उ गिद्धा रमंति जिब्भिंदिय-वसट्टा ॥। [१९४] जिब्भिंदिय-दुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो । जंगललग्गुक्खित्तो फूरइ थवविरेल्लिओ मच्छो । [१९५] उउ-भयमाणसुहेसु य सविभव-हिययमण-निव्वुइकरेसु
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फासेसु रज्जमाणा मंति फासिंदिय-वसट्टा || [१९६] फासिंदिय दुद्दंतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो ।
जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो ।। [१९७] कल-रिभिय-महुर-तंती-तलताल-वंस- कउहाभि । सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरण न ते मरए || [१९८] थण-जहण-वयण-कर-चरण- नयण-गव्विय-विलासियाईसु सुजेन रत्ता वसट्टमरणं न ते मरए || [१९९] अगरुवर-पवर-धूवण-उउयमल्लाणुलेवणविहीसु
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गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ।। [२००] तित्त-कडुयं कसायं महुरं वहुखज्ज - पेज्ज-लेज्झे । आसायंमि न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए || [२०१] उउ-भयमाणसुहेसु य सविभव-हिययमण-निव्वुइकरेसु फासेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए || [२०२] सद्देसु य भद्दय-पावएसु सोयविसयमुवगएसु । तुट्ठेण व रुद्वेण व समणेणं सया न होयव्वं ।।
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[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
[६-नायाधम्मकहाओ]