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________________ वीसमंति, तेसि णं आवाह नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणा-परिणममाणा सुभरूवत्ताए जाव भुज्जो-भुज्जो परिणमंति । ___ एवामेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पंचसु कामगुणेसु नो सज्जइ नो रज्जइ० से णं इह भवे चेव बहणं समणाणं० अच्चणिज्जे भवइ परलोए नो आगच्छति जाव वीईवस्सइ तत्थ णं जे से अप्पेगइया परिसा घणस्स एयमद्वं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति घणस्स एयमटुं असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोयमाणा जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव वीसमंति, तेसि णं आवाए भद्दए भवइ तओ पच्छा परिणममाणा-परिणममाणा जाव ववरोति । एवामेवं समणाउसो जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा० पव्वइए समाणे पंचसु कामगुणेसु सज्जइ जाव [संसारकंतारं भुज्जो-भुज्जो] अनुपरियट्टिस्सइ-जहा व ते पुरिसा | स्यक्खंधो-१, अज्झयणं-१५ तए णं से घणे सत्थवाहे सगडी-सागडं जोयावेइ जोयावेत्ता जेणेव अहिच्छत्ता नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अहिच्छत्ताए नयरीए बहिया अग्गज्जाणे सत्थनिवेसं करेइ करेत्ता सगडी-सागडं मोयावेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे महत्थं महग्घं महरिहं रायरिहं पाहुडं गेण्हइ गेण्हित्ता बहुपुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुड़े अहिच्छत्तं नयरिं मज्झंमज्झेणं अनुप्पविसइ अनुप्पविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उगच्छइ उवागच्छित्ता करयल जाव वद्धावेइ वद्धावेत्ता तं महत्थं महग्धं महरिहं रायारिहं पाडुहं उवणेइ । तए णं से कणगकेऊ राया हद्वतुढे घणस्स सत्थवाहस्स तं महत्थं० जाव पडिच्छड़ पडिच्छित्ता धणं सत्यवाहं सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता उस्सुक्कं वियरइ वियरित्ता पडिविसज्जेइ भंडविणिमयं करेइ करेत्ता पडिभंडं गेण्हइ गेण्हित्ता सुहंसुहेणं जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता मित्त-नाइ० जाव अभिसमण्णागए विप्लाइं माणुस्सगाइं जाव विहरइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरागमणं धणे सत्थवाहे धम्म सोच्चा जेट्टपत्तं कुडुबे ठावेत्ता पव्वइए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहुणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववण्णे महाविदेहे वासे सज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ । एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं० पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि । • पढमे सुयक्खंधे पन्नरसमं अज्झयणं समत्तं . मुनि दीपरत्नसागरेण संशोधितः सम्पादित्तश्च पन्नरसमं अज्झयणं समत्तं . • सोलसमं अज्झयणं-अवरकंका . [१५८] जइ णं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं० पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते सोलसमस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते? एवं ख जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था, तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागहे नाम [दीपरत्नसागर संशोधितः] [109] [६-नायाधम्मकहाओ]
SR No.003711
Book TitleAgam 06 Nayadhammakahao Shashtam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages159
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 06, & agam_gyatadharmkatha
File Size3 MB
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