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________________ [३६७] पउमे य महापउमे विमलवाहणे विपलवाहणे चेव । रिढे बारसमे वुत्ते आगमेसा भरहाहिवा ।। [३६८] एएसि णं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति बारस मायरो भविस्संति बारस इत्थीरयणा भविस्संति । जंबुद्दीवे णं दीवे भरहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव बलदेव-वासुदेव-पियरो भविस्संति नव वासुदेवमायरो भविस्संति नव बलदेवमायरो भविस्संति नव दसारमंडला भविस्संति तं जहा- उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसो एवं सो चेव वण्णओ भाणियव्वो जाव नीलग-पीतगवसणा दुवे-दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति (तं जहा)- | [३६९] नंदे य नंदमित्ते दीहबाहू तहा महाबाहू । अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे ।। [३७0] दुविठू य तिविद् य आगमेसाण वण्हिणो जयंते विजए भद्दे । सुप्पभे य सुदंसणे आणंदे नंदणे पउमे संकरिसणे य अपच्छिमे।। [३७१] एएसि णं नवण्हं बलदेव-वासुदेवाणं पुव्वभविया नव नामधेज्जा भविस्संति नव धम्मायरिया भविस्संति नव नियाणभूमीओ भविस्संति नव नियाणकारणा भविस्संति नव पडिसत्तू भविस्संति (तं जहा)- | [३७२] तिलए य लोहजंधे वइरजंधे य केंसरी पहराए । अपराइए य भीमे महाभीमे य स्रगीव ।। [३७३] एए खलुं पडिसत्तू कित्तूपुरिसाण वासुदेवाणं । पइण्णग समवाओ सव्वेवि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहिं ।। [३७४] जंबुद्दीवे णं दीवे एरवए वासे आगमिस्साए उस्सप्पणीए चउवीसं तित्थकरा भविस्संति (तं जहा)- | [३७५] समंगले य सिद्धत्थे निव्वाणे य महाजसे । धम्मज्झए य अरहा आगमिस्साण होक्खई ।। [३७६] सिरिचंदे पप्फकेऊ महाचंदे य केवली । सयसागरे य अरहा आगमिस्साण होक्खड़ ।। [३७७] सिद्धत्थे पुण्णघोसे य महाघोसे य केवली । सच्चसेणे य अरहा आगमिस्साण होक्खइ ।। [३७८] सूरसेणे य अरहा महासेणे य केवली । सव्वाणंद य अरहा देवउते य होक्खड़ ।। [३७९] सुपासे सुव्वए अरहा अरहे य सुकोसले । अरहा अनंतविजए आगमिस्साण होक्खड़ ।। [३८०] विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले । देवाणंदे य अरहा आगमिस्साणं होक्खड़ ।। [३८१] एए वृत्ता चउव्वीसं एरवयम्मि केवली । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [79] [४-समवाओ]
SR No.003707
Book TitleAgam 04 Samvao Chauttham Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages81
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 04, & agam_samvayang
File Size2 MB
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