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________________ जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदीए उत्तरे णं अट्ठरायहाणीओ पण्णत्ताओ तं जहा- खेमा खेमपुरी रिट्ठा रिट्ठपुरी खग्गी मंजूसा ओसधो पुंडरीगिणी, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानईए दाहिणे णं अट्ठरायहाणीओ पण्णत्ताओ तं जहा- सुसीमा कुंडला अपराजिया पभंकरा अंकावई पम्हावई सुभा रयणसंचया, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओदाए महानदीए दाहिणे णं अट्ठ रायहाणीओ पण्णत्ताओ तं जहा- आसपुरा सोहपुरा महापुरा विजयपुरा अवराजिता अवरा असोया वीतसोगा, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महान उत्तरे णं अट्ठ रायहाणीओ पण्णत्ताओ तं जहा- विजया वेजयंती जयंती अपराजिया चक्कपुरा खग्गपुरा अवज्झा अउज्झा । [७५०] जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदी उत्तरे णं उक्कोसपए अट्ठ अरहंता अट्ठ चक्कवट्टी अट्ठ बलदेवा अट्ठ वासुदेवा उप्पज्जिंसु वा उप्पज्जंति वा उप्पज्जिस्संति वा, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदीए दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओयाए महानदीए दाहिणे णं उक्कोसपए एवं चेव, एवं उत्तरेणवि । ठाणं-८ [७५१] जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानईए उत्तरे णं अट्ठ दीहवेयड्ढा अट्ठ तिमिसमगुहाओ अट्ठ खंडगप्पवातगुहाओ अट्ठ कयमालगा देवा अट्ठ नट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अट्ठ सिंधुकुंडा अट्ठ गंगाओ अट्ठ सिंधुओ अट्ठ उसभकूडा पव्वता अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता । जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं सीताए महानदीए दाहिणे णं अट्ठ दीहवेअड्ढा एवं चेव जाव अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता, नवरमेत्थ रत्तरत्तावती तासिं चेव कुंडा जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीतोयाए महानदीए दाहिणे णं अट्ठ दिवो जाव अट्ठ नट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अट्ठ सिंधुकुंडा अट्ठ गंगाओ अट्ठ सिंधूओ अट्ठ उसभकूडा पव्वता अट्ठ उसभकूडा देवा पण्णत्ता । जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओयाए महानदीए उत्तरे णं अट्ठ दीहवेयड्ढा जाव अट्ठ नट्टमालगा देवा पण्णत्ता अट्ठ रत्ताकुंडा अट्ठ रत्तावतिकुंडा अट्ठ रत्ताओ अ रतावतीओ अट्ठ उसभकूडा पव्वत्ता अट्ठ उसभकूडा देवा पन्नत्ता । [७५२] मंदरचूलिया णं बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं प० । [७५३] धायइसंडदीव पुरत्थिमद्धे णं घायइरूक्खे अट्ठ जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं प० बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाइं विक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ता एवं घायइरुक्खात्तो आढेत्ता सच्चेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियव्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पच्चत्थिमद्धेवि महाधातइरुक्खात्तो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवरदीवड्ढ - पुरत्थिमद्धेवि पउमरुक्खाओ आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्खरवरदीवड्ढ-पच्चत्थिमद्धेवि महापउमरुक्खातो जाव मंदरचूलियत्ति । [७५४] जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वते भद्दसालवणे अट्ठ दिसाहत्थिकूडा पन्नत्ता ( तं जहा-) चउमुत्तर नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी I कुमुदे य पलासे य वडेंसे रोयणागिरी || [७५५] [ मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः ] [115] [३-ठाणं]
SR No.003705
Book TitleAgam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages141
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 03, & agam_sthanang
File Size2 MB
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