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भयाइं पेहिया,
एयाइं सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-२, उद्देसो-१
आरंभा विरमेज्ज सुव्वए ||
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[९२] जमिणं जगई पुढो जगा, कम्मेहिं लुप्पंति पाणिणो I सयमेव कहिं गाहई, नो तस्स मुच्चेज्जऽपुट्ठवं [ ९३] देवा गंधव्वरक्खसा, असुरा भूमिचरा सरीसिवा रायनर सेट्ठि माहणा, ठाणा तेऽवि चयंति दुक्खिया [९४] कामेहिं न संथवेहि गिद्धा, कम्मसहा काले जंतव I ताले जह बंधनच्चु, एवं आउक्खयमि
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[९५] जे यावि बहुस्सुए सिया, धम्मिए माहणे भिक्खु सा । अभिनूमकडेहिं मुच्छिए, तिव्वं से कम्मेहिं किच्चती [९६] अह पास विवेगमुट्ठिए, अवितिण्णे इह भासई धुवं
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नाहिसि आरं कओ परं ?, वेहासे कम्मेहिं किच्चई || [९७] जइ वि य निगिणे किसे चरे, जइ वि य भुंजिय मासमंतसो । जे इह मायादि मिज्जई, आता गब्भाय नंतसो || [९८] पुरिसोरम पावकम्मुणा, पलियंतं मनुयाण जीवियं I सण्णा इह काममुच्छिया, मोहं जंति नरा असंवुडा [ ९९ ] जययं विहराहि जोगवं, अनुपाणा पंथा दुरुत्तरा अनुसासणमेव पक्कमे, वीरेहिं सम्म पवेइयं [१००] विरया वीरा समुट्ठिया, हायरिया पीसणा पाणे न हणंति सव्वसो, पावाओ विरयाऽभिनिव्वुडा [१०१] न वि ता अहमेव लुप्पए, लुप्पंती लोगंसि पाणिणो एवं सहिएहिं पासए, अनि से पुट्ठे अहियासए [१०२] धुणिया कुलियं व लेववं, किसए देहमनासना इह अविहिंसामेव पव्वए, अध मुणिणा पवेइओ [१०३] सउणी जह पंसुगुंडिया, विहुणिय धंसयई सियं रयं एवं दविओवहाणव कम्मं, खवइ तवस्सि माणे [१०४] उट्ठियमनगारमेसणं, समणं ठाणठिय तवस्सिणं
लभे जना
डहरा वुड्ढा य पत्थए, अवि सुस्से न य तं [१०५] जइ कालुणियाणि कासिया, जइ रोयंति य दवियं भिक्खुं समुट्ठियं, नो लब्भंति णं [१०६] जइविय कामेहिं लाविया, जइ नेज्जाहि णु जइ जीवित नावकंखिए नो लब्भंति तं [१०७] सेहंति य णं ममाइणो, मायापिया य सुया य भारिया । पोसाहि न पोसओ तुमं, लोगं परं पि जहासि पोसणे || [ १०८] अन्ने अन्नेहिं मुच्छिया, मोहं जंति [दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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पुत्तकारणा I संठवेत्तए || बंधिरं घरं । संठवेत्तए
[२-सूयगडो]