________________
[१२४] जत्थsत्थमिए सुयक्खंधो-१, अज्झयणं-२, उद्देसो-२
[१३६] जे
[१३७] मा
अनाउले, समविसमाई
चरगा अदुवा वि भेरवा, अदुवा तत्थ सिरीसिवा सिया || [ १२५] तिरिया मनुया य दिव्वगा, उवसग्गा तिविहाऽहियास I लोमादीयं न हारिसे, सुन्नागारगए
||
[ १२६ ] नो अभिकंखेज्ज जीवियं, नोऽवि य पूयणपत्थए सिया अब्भत्थमुर्वेि सुन्नागारगयस्स भिक्खुण || भयमाणस्स विविक्मासनं
भेरवा,
[१२७] उवनीयतरस्स ताइणो,
I
||
घम्मट्ठियस्स
सामाइयमाहु तस्स जं, जो अप्पाणं भए न दंसए [१२८] उसिणोदगतत्तभोइणो, मुनिस हीमो I संसग्गि असाहु राइहिं, असम उ तहागयस्स वि [१२९] अहिगरणकडस्स भिक्खुणो, वयमाणस्स पसज्झ दारुणं I
||
अट्ठे परिहायई बहु, अहिरणं न करेज्ज पंडिए || [ १३०] सीओदग पडिदुगंछिणो, अपणिस्स लवावसक्किणो I सामाइयमाहु तस्स जं, जो गिहिमत्तेऽसनं न भुंजई ॥ [१३१] न य संखयमाहु जीवियं, तह वि य बालजनो पगई । बाले पावेहिं भिज्जई, इइ संखाय मुनी न मज्जई || [१३२] छंदेण पले इमा पया, बहुमाया मोहेण पाउडा I वियडेण पति माहणे, सीउन्हं वयसाऽहियासए || [१३३] कुजए अपराजिए जहा, अक्खेहिं कुसलेहिं दीवयं कडमेव गहाय नो कलिं, नो तीयं नो चेव दावरं
I
||
[१३४] एवं लोगंमि ताइणा, बुइ जे
||
तं गिण्ह हियं [१३५] उत्तर मणुयाण
धम्मे अनुत्तरे I ति उत्तमं, कडमिव सेसऽवहाय पंडिए आहिया, गामधम्म इति मे अनुसुयं । जंसी विरया समुट्ठिया, कासवस्स धम्मचारिणो || एय चरंति आहियं, नाणं महया महेसणा I उट्ठियं ते समुट्ठिया, अन्नोऽन्नं सारेंति धम्मओ || पेह पुरा पणामए, अभिकंखे उवहिं धुणित्तए I
जे दूमण तेहिं नो नया, ते जाणंति
||
समाहिमाहियं पासणिए न य संपसारए I
[१३८] नो काहिए होज्ज संजए,
नच्चा धम्मं अनुत्तरं कयकिरिए य न यावि मामए || [१३९] छन्नं च पसंस नो करे, न य उक्कोस पगास माहणे । सिं सुविवेगमाहिए, पणया जेहिं सुझोसियं घुयं || [१४०] अनिहे सहिए सुसंवुडे, धम्मट्ठी उवहाणवीरिए I विहरेज्ज समाहिइंदि अत्तहिअं दु लब्भते
||
[ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
s
[10]
I
[२-सूयगडो]