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श्रमण प्रतिक्रमण
तं धर्म श्रद्दधानः प्रतीयन्
रोचमानः
स्पृशन् अनुपालयन् तस्य धर्मस्य अभ्युत्थितोऽस्मि आराधनाये विरतोऽस्मि विराधनायाः असंयम परिजानामि संयम उपसंपये अब्रह्म परिजानामि ब्रह्म उपसंपद्ये अकल्पं परिजानामि कल्पं उपसंपद्ये अज्ञानं परिजानामि ज्ञानं उपसंपद्ये अक्रियां परिजानामि क्रियां उपसंपद्ये मिथ्यात्वं परिजानामि सम्यक्त्वं उपसंपद्ये अबोधि परिजानामि बोधि उपसंपद्ये अमार्ग परिजानामि मार्ग उपसंपद्ये यत् स्मरामि यच्च न स्मरामि यत् प्रतिक्रामामि यच्च न प्रतिक्रामामि तस्य सर्वस्य देवसिकस्य अतिचारस्य प्रशिक्रामामि
उस धर्म पर श्रद्धा करता हुआ प्रतीति करता हुआ रुचि करता हुआ उसका आचरण करता हुआ अनुपालन करता हुआ उस धर्म की आराधना के लिए अभ्युत्थित होता हूं विराधना से विरत होता हूं असंयम का प्रत्याख्यान करता हूं संयम को स्वीकार करता हूं अब्रह्मचर्य का प्रत्याख्यान करता हूं ब्रह्मचर्य को स्वीकार करता हूं अकरणीय का प्रत्याख्यान करता हूं करणीय को स्वीकार करता हूं अज्ञान का प्रत्याख्यान करता हूं ज्ञान को स्वीकार करता हूं नास्तिकता का प्रत्याख्यान करता हूं आस्तिकता को स्वीकार करता हूं मिथ्यात्व का प्रत्याख्यान करता हूं सम्यक्त्व को स्वीकार करता हूं अबोधि का प्रत्याख्यान करता हूं बोधि का स्वीकार करता हूं अमार्ग का प्रत्याख्यान करता हूं मार्ग को स्वीकार करता हूं जिस (अतिचार) की मुझे स्मृति है जिसकी मुझे स्मृति नहीं है जिसका प्रतिक्रमण करता हूं जिसका प्रतिक्रमण नहीं करता हूं उससे सम्बन्धित सब देवसिक अतिचार का प्रतिक्रमण करता हूं
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