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संस्कृत छाया प्रतिक्रामामि
चतुष्कालं
स्वाध्यायस्य
अकरणे
उभयकालं
भाण्डोपकरणस्य
अप्रतिलेखनायां
दुष्प्रतिलेखनायां
अप्रमार्जनायां
दुष्प्रमार्जनायां
अतिक्रमे
व्यतिक्रमे
अतिचारे
अनाचारे
यो
मया
वैवसिक:
अतिचार:
कृतः
तस्य
मिथ्या
मे
दुत्कृतम् ।
भावार्थ
शब्दार्थ
प्रतिक्रमण करता हूं । चातुष्कालिक
स्वाध्याय के
न करने दोनों समय
पात्र - वस्त्र आदि उपकरण का
प्रतिलेखन न करने
अविधिपूर्वक प्रतिलेखन करने
अप्रमार्जन करने
अविधिपूर्वक प्रमार्जन करने
अतिक्रम
व्यतिक्रम
अतिचार
अनाचार में
जो
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मैंने
दैव सिक
अतिचार
किया हो
उससे संबंधित
निष्फल हो
मेरा
दुष्कृत ।
श्रमण प्रतिक्रमण
मैं प्रतिक्रमण करता हूं-
चातुष्कालिक ( दिन के प्रथम और अन्तिम प्रहर तथा रात के प्रथम और अन्तिम प्रहर ) स्वाध्याय न किया हो, दिन के प्रथम तथा अन्तिम प्रहर में पात्र, वस्त्र आदि उपकरणों का प्रतिलेखन न किया हो अथवा विधि से किया हो, स्थान आदि का प्रमार्जन न किया हो अथवा अविधि से किया हो,
अतिक्रम -- दोष सेवन के लिए मानसिक संकल्प किया हो, व्यतिक्रम - दोष सेवन के लिए प्रस्थान किया हो,
(
अतिचार - दोष - सेवन के लिए तत्परता की हो, सामग्री जुटा ली हो,
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