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निरुक्ति द्वार ६५ सामायिक एवं अनवद्य शब्दों में सम्यग्-चारित्र और चारित्राचार का समावेश हुआ है।
प्रत्याख्यान शब्द में सम्यग्-तप और तपाचार तथा वीर्याचार का समावेश हुआ है।
ज्ञान आदि चारों आचारों के पालन से वीर्याचार का पालन अवश्य होता है, जिससे वोर्याचार का सबमें समावेश हो जाता है ।
ये विभाग नाम-भेद के कारण सामान्यतया किये गये हैं। अन्यथा अर्थतः तो सामायिक में कोई भेद नहीं है। सामायिक रत्नत्रयी एवं पंचाचार स्वरूप ही है।
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