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________________ Wwwxxxxx परीपह-जयी मैंने उनके प्रवचनों में नरकों की वेदना और वहाँ के दुःखों का वर्णन सुना था । उस समय मुझे ऐसा लगा था कि नरकों की जिस वेदना का वर्णन महाराज श्री कर रहें हैं और शास्त्रों में जिसका वर्णन है , उस दुःख और वेदना की तुलना में संसार के ये दुःख तो कुछ भी नहीं हैं । मुझे लगा कि मैंने अनेक जन्मों में नरक की वेदनायें सही होंगी । उन भयंकर दुःखों को झेला होगा । इसलिए मैं देखना चाहता था कि इस जन्म में चोरी की सजा भुगत कर अनुभव करूँ कि मार की वेदना कैसी होती है ? मैंने अपने मित्र द्वारा जिस यातना को सहा है वह तो नरक की वेदना के सामने नगण्य ही है । मुझे यह भी महसूस करना था कि चोरी के जुर्म में दूसरों को कैसा कष्ट पहुँचता होगा । बस इसी भावना से मैं यातना सहता रहा । इससे मुछे यह प्रसन्नता भी हुई कि मैं कितना कष्ट सहन कर सकता हूँ ।” विद्युच्चर ने अपनी मन की बात कह दी । “विद्युच्चर तुम्हारे इस कथन से मुझे तुम्हारी सहनशक्ति पर बड़ा सम्मान हो रहा है । तुम्हारे मन में नरकों के दुःखों का जो भय है ,वह अवश्य तुम्हें एक दिन कर्मबन्ध से मुक्ति दिलाएगा । एक बात मुझे अपने कोतवाल जी से भी पूछनी है कि जब यमदण्ड जी के पिता आपके कोतवाल थे और उत्तराधिकारी इन्हें मिलना था फिर ये अपना राज्य छोड़कर यहाँ क्यों आये । "महाराज ने कोतवाल जी की ओर इशारा करते हुए विद्युच्चर से जानना चाहा । "महाराज इसका कारण है कि यमदण्ड जी का मुझसे भयभीत होना । “सो कैसे ?" “महाराज मेरे पिता जितशत्रुजी ने मुनि महाराज के उपदेशों से प्रभावित होकर वैराग्य धारण कर मुनि दीक्षा ले ली । और साथ ही यमदण्ड जी के पिता यमपाश जी ने भी आत्मकल्याण हेतु जिनेश्वरी दीक्षा धारण कर ली । इससे मुझे राज्य का कार्यभार सम्हालना पड़ा और यमदण्ड की कोतवाल पद पर नियुक्ति हुई । लेकिन इन्हें वह शर्त भय बनकर सता रही थी कि मेरे चौर्यकर्म से कहीं इनकी जान खतरे में न पड़ा जाए । क्योंकि किसी भी चोरी का इल्जाम राजा होने के नाते ये मुझ पर लगा न पाते । इसलिए इन्होंने मेरे राज्य की रक्षा का Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003695
Book TitleParishah Jayi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain
PublisherKunthusagar Graphics Centre
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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