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________________ Xxxxxxxxपरीषह-जयीxxxxxxxx प्राप्त हुई । इस जन्म में तुम विषय वासनाओं में इतने डूब गए कि आत्महित की ओर ध्यान ही नहीं दिया । संसार में कोई भी प्राणी सर्प के समान इन भोगों में फंस कर सुखी नहीं हुआ । ये भोग तो कुत्ते की दाढ़ में फंसी हुई हड्डी के समान हैं, जो स्वयं के रक्त का स्वाद लेने के समान है । तुम माँ की अन्धी ममता में फंसे रहे और माँ भी मोह के वशीभूत होकर तुम्हें सत्य से वंचित किए रही ।" महाराज ने अपने उद्बोधन द्वारा संसार का वास्तविक चित्र खींचा । सुकुमाल ने यह सब बड़े ध्यान से सुना और उसे वैराग्य हो गया । उसने उसी समय महाराज से जिनदीक्षा ग्रहण की। सुकुमाल सेठ मुनि हो गए हैं । यह आश्चर्य जनक खबर समस्त नगर में वायुवेग से प्रसारित हो गई । कुछ लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ, और कुछ लोग आश्चर्य में डूब गए । बत्तीस पत्नियाँ दिगमूढ़ रह गई ,और माता यशोभद्रा का हाल ही बेहाल हो गया । वे विलख-विलख कर सुकुमाल से कह रही थी - "बेटा ,यह तुमने क्या किया । अभी तुम्हारी उम्र क्या है ? ये तो तुम्हारे आनन्द मनाने के दिन है ।" "माँ ! मैं अभी तक मोह के वशीभूत रहा ,वासना के अन्धकार में जीवन के सत्य को जान ही न पाया । मैंने ऐसा यौवन अनेक जन्मों में पाया ,पर वह बुढ़ापे में ढल गया । यह शरीर अनेक रोगों का घर है,मरण धर्मा है । ये वैभव न कभी साथ गए हैं और न कभी साथ जायेगें । सुकुमाल ने माँ को धीरज बधाते हुए समझाने का प्रयत्न किया ।" "बेटा, यह मार्ग बड़ा कठिन है ,तुम कोमल हो । मार्ग के कष्ट भूखप्यास ,वर्षा-सर्दी-गर्मी के कष्ट तुम कैसे सहोगे ? दीपक की लौ से भी तुम्हारी आँखे जलने लगती है ,मखमल से नीचे तुम कभी चले नहीं हो । फिर ये कष्ट कैसे सहोगे ?" माँ ने साधु जीवन के कष्टों का भय दिखाकर समझाने का प्रयत्न किया। "माँ ! ये सारे कष्ट तो इस पुद्गल के हैं , आत्मा को कोई कष्ट नहीं होता वह तो इन सब से ऊपर है । माँ मैं इन्हीं कष्टों पर विजय पाने के लिए और आत्मा के चिरन्तन सुख जन्म-मरण से मुक्त होने के लिए ही इस त्याग-यात्रा पर निकल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003695
Book TitleParishah Jayi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShekharchandra Jain
PublisherKunthusagar Graphics Centre
Publication Year
Total Pages162
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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