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________________ 50 :: तत्त्वार्थसार 289 289 290 290 290 290 290 291 291 291 292 292 वृत्तिसंख्यान तप का स्वरूप कायक्लेश तप का स्वरूप विविक्त शैयासन तप का स्वरूप अन्तरंग तप के छह भेदों के नाम स्वाध्याय तप का स्वरूप व भेद वाचना स्वाध्याय का स्वरूप पृच्छना स्वाध्याय का स्वरूप आम्नाय स्वाध्याय का स्वरूप धर्मदेशना स्वाध्याय का स्वरूप अनुप्रेक्षा स्वाध्याय का स्वरूप प्रायश्चित्त तप के भेद आलोचन का स्वरूप प्रतिक्रमण और तदुभय का स्वरूप तप प्रायश्चित्त का स्वरूप व्युत्सर्ग का स्वरूप विवेक प्रायश्चित्त का स्वरूप उपस्थापना प्रायश्चित्त का स्वरूप परिहार प्रायश्चित्त का स्वरूप छेद प्रायश्चित्त का स्वरूप वैयावृत्त्य अन्तरंग तप के भेद व्युत्सर्ग तप के भेद व नाम विनय तप के भेद दर्शन विनय का स्वरूप ज्ञान विनय का स्वरूप चारित्र विनय का स्वरूप उपचार विनय का स्वरूप ध्यान तप के हेयोपादेय भेद आर्तध्यान के भेदपूर्वक स्वरूप रौद्रध्यान के भेदपूर्वक स्वरूप ध्यान का लक्षण व उत्कृष्ट कालप्रमाण धर्मध्यान का स्वरूप व भेद आज्ञाविचय का स्वरूप अपायविचय का स्वरूप विपाकविचय का स्वरूप संस्थानविचय का स्वरूप 293 293 293 293 294 294 294 294 295 296 296 296 296 297 297 297 298 298 299 299 300 300 301 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003694
Book TitleTattvartha Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
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