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जेलख्खणंच सुविणंच अंग विजंच जेपउंजंति । नहुतेसमणा वुच्चंति एवं आयरिरहिं अख्खायं ॥१३॥ इहजीवियं अणियमित्ता पम्भठ्ठासमाहिजो गेहिं । तेकामभोगरसगिडा उववजांतिआसुरेकाए ॥१४॥ तत्तोविय उवट्टित्ता संसारबहु अणुपरियठति । बहुकम्म लेवल्लित्ताणं बोही होइसुदुल्लहातेसिं ॥१५॥ कसिणंपि जो इमं लोगं पडिपुन्नं दलेजा एक्कस्स । तेणाविसेन तूसेज्जा इइ दुप्पूरए ईमेआया ॥१६॥
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पुरुष लक्षण, स्वप्नना खुलासा, अने शरीर फरक तेना खुलासा-एटलां वानां जे कोइ कहे तेने साधु न कहेवा एम तीर्थकर भगवाननी आज्ञा छ, [१३. जेओं पोताना आत्माने अनियंत्रित राखे, तप विधान आदिमां अनियमित रहे, समाधी योगथी भ्रष्ट थाय, काम रस भोग अने भोजनमां लुब्ध रहे, ए असुर योनिमां जन्मे छे.२ [१४]. ज्यारे ते असुर योनिमांथी नोकळे छ, त्यारे तेने संसारमा घण। वखत सुधी परिभ्रमण करवू पडे छे.जेना आत्माने कर्ममळनो लेप लागेलोछे, तेवा पुरुषोने जैन धर्म अने सम्यकत्वनी प्राप्ति दुर्लभ छे (१५). आ आखी पृथ्वि द्रव्य वैगेरथी भरी, कोइने आपीए तोपण जेवी रीते तृष्णानो अंत आवतो नथी-संतोष थतो नथी, एवी रीते कोइ जीवने संतोपवो महा मुश्केल छे. [१६].
१. निमित्तिा-नजुमी जेवा कार्योथी संसारी साथे घाटा परिचयमा आक्वार्थी राग बंधन थाय अने प्रसंगे महातोमा दोष लागे.२. प्रो. जेकोबीना आ गाथा माटेना शब्दो असरकारक छ-Those who do not take their life under discipline, who cease from meditation and, ascetic practices, and, who are desirous of pleagrsures, amusement and good fare, will be born again as Asuras. ३. प्रो. जेकोबी बाधि' Bodhi 18 शब्द वापरे छे. ते शब्द बंध जाणव-ज्ञान थवं ए क्रियापद उपरथी थयेल छ. पूर्ण शुद्ध ज्ञान विना शुद्ध सम्यकत्वनी प्राप्ति महा मुश्केलछे.
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