SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ न.अ. २३ १९० मग्गेय इइके केसीगोयम मन्त्रवी । तउकेसिं बुवंतंतु गोयमो उम्मग्ग पहिया । सम्मगंतु जिणख्खायं एसमग्गेहि उत्तमे ॥ ६३ ॥ अन्नो मध्वी ॥ ६२ ॥ कुप्यण पाडी स साहु गोयम पन्ना छिन्नो मे संसउइमो । मेहसु गोयमा ॥ ६४ ॥ महाउद्गवेगेणं बुझमा गाण पाणिणं । सरणंगई पहुंच दीवंकमणसे मुणी ॥ ६५ ॥ अथ एगो महादीवो वारिमझे महालउ । महाउद्ग वेगन गइतथ्य नविझइ ॥ ६६ ॥ दीवेय इइ har केसीगोयम मब्बी । तओकेसिं बुवंतंतु गोयमोइण मन्त्रवी ॥ ६७॥ जरामरण वेगेणं बुझमाणाण पाणिणं । मोदी पाय गइसरण मुत्तमं ॥ ६८ ॥ केशि-कुमार कहे छे, " हे गौतम! आप मार्ग [ सन्मार्ग अने उन्मार्ग ] कोने कहो छो ? " केशिनुं आवं वचन सांभळीने गौतम कहे छे : - [ ६२] . " कुमार्गीओ अने पाखंडीओ ( कपिलादि मतानुवर्त्तिओ ) उन्मार्गने विषे स्थापित थयेला छे, अने जिनो मार्ग ए सन्मार्ग छे अने ते मुक्तिनो दाता छे. " [ ६३ ]. ए सांभळीने केशि-कुमार कहे छे, " हे गौतम !... . वगेरे गाथा २८ प्रमाणे. (६४), " हे गौतम! महा जळ प्रवाहे घसडातां प्राणीओना निवारण अर्थे कोइ आधार, शरणुं अथवा दृढ स्थानक छे ? एवो कोई द्वीप आपना जाणवामां छे?" [ ६५ ]. गौतम कहे छे, “ समुद्रनी बच्चे एक प्रौढ अने विस्तीर्ण द्वीप छे; महा जळ प्रवाहनी रेल ते द्वीप उपर फरी वळी शक्ती नयी. "३ (६६) केशि-कुमार कहे छे, “हे गौतम! आप ए द्वीप कोने कहो छो ? " केशिनुं आवं वचन सांभळीने गौतम कहे छे: - (६७). “ जरा अने मरण ए जळ प्रवाह छे अने तेमां प्राणीओ घसडाय छे, ए जळनी बच्चे धर्मरूपी महाद्वीप छे; अने ते दृढ स्थानक, आधार अने उत्तम शरणुं छे. " [ ६८ ]. * Heterodox १. Is not inundated by the great flood of water. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003693
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMehta Mohanlal Damodar
PublisherMehta Mohanlal Damodar
Publication Year
Total Pages352
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy