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( ६ )
नि० ॥ शुभ ध्याने आयु बांधीयां जी, महाविदेह क्षेत्रे अवतार ॥ ए ॥ नि० ॥
॥ दोहा ॥
॥ संवत् बार बासठ कह्यो, वस्तुपाल जनमज जाए ॥ श्रीशेगुंजे जातरा, इसी वखत वखाण ॥ १ ॥ मंत्रीश्वर द्रव्यव्यय की, धर्म तो अधिकार ॥ तेह तणी संख्या कहुं, सुणो तेह उदार ॥ २ ॥ उगणत्रीश शत कोमी कहुं, त्रिहोत्तेर को कि एंशी लाख ॥ वीशसहस्स नवसें नेउ लह्या, त्रिहुं को कि पऊणा नाख ॥ ३ ॥ एवंकारी पुण्य पोते करी, पोहता महाविदेह मकार ॥ सीमंधर स्वामी चरणे नित्य नमे, कवि मेरुविजय सुखकार ॥ ४ ॥ संवत् बार अठाए, मंत्री श्वर वस्तपाल || दिवंगत अंकेवाली हुआ, हवे संघपति तेजपाल ॥ ५ ॥
॥ ढाल ॥
॥ मनमोहन || ए देशी ॥ चरण कारण करी संघ चाली ॥ म० ॥ पालीताणे ज डेरा दीध || लाल मनमोहन ॥ सोवन फूले गिरि वधावीजं ॥ म० ॥ सफल अवतार त्यां कीध ॥ म० ॥ १ ॥ ला० ॥ ० ॥ विमलाचल वर राजी ॥ म० ॥ यदि
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