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(ए) लाख पोख्या स्वामी ताम ॥१॥ नि ॥ उधे पाय पखालतो जी, मन धरी हर्ष अपार ॥ नि ॥ वली चतुर्विध संघ पहिरावतो जी, आचरण वस्त्र उदार ॥२॥नि०॥पात्र सुपात्र स्वामी पोखीया जी,ते पुण्ये शंख थिर थाय॥नि०॥सात पेढी शंख बांधी जी, कहे शेग्ने शंख सुरराय ॥३॥ नि०॥ हवे शेठ जश् मंत्रीने विनवे जी, तुम्हे कीधो मुज उपगार ॥ नि०॥शंख जातो तुम्हे घर राखी जी, नले पाम्यो तुम्ह देदार ॥४॥ नि ॥ शेठ संतोषी मंत्री चाली जी, साथे लीधा ते श्वान ॥ नि०॥ गम गम एम उपकार करे जी, मंत्रीमन नहीं अनिमान ॥ ५॥ न० ॥ अनुक्रमे संघ हवे आवाज जी, अंकेवाली दीधा मेव्हाण ॥ नि ॥ दान अवारी तिहां दीए जी, जाणी निज आयु सुजाण ॥ ६॥ निम् ॥ निज गुरु तेगी वंदन करे जी, अणसण करे चौविहार ॥ नि ॥लाख चोराशी खामी जी, मान माया नहींअ लिगार॥७॥नि॥अनित्य नाव मंत्री धरे जी, मन समरे नवकार ॥ नि०॥ शेठेजो गाउ त्रण रह्यो जी, यात्रा हु सामी बार ॥ ७॥ निम् ॥ अंतकाले ध्यान आवतुं जी, मंदिरस्वामी सुखकार ॥
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