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( हेत )
॥ शे० ॥ १० ॥ चार सहस्र नेजा आगले ए, तेहना सोवनमय साज तो ॥ शे० ॥ दल वादल संघ चालतो ए, सहु कहे धन्य दिन आज तो ॥ शे० ॥ ११ ॥ खेद उडे संघ चालतां ए, वादल छायो सूर ताम तो ॥ शे० ॥ मेरु महीधर खलनले ए, कंपे वली इंद्रनुं गम तो ॥ शे० ॥ १२ ॥ अनुक्रमे तलेटीए वीया ए, वाग्यां निशाण सहस्स चार तो ॥ शे० ॥ मेरी नफेरी तिहां वाजती ए, शंख वाज्या हजार चारं तो ॥ शे० ॥ १३ ॥ वस्तुपाल तेजपाल हरखीया ए, हरख्यो हरख्यो संघ सहु साथ तो ॥ शे० ॥ सोवन फूले गिरि वधावता ए, सफल कीधा निज हाथ तो ॥ शे० ॥ १४ ॥ युगादि देव जइ जेटीया ए, सफल कस्यो अवतार तो ॥ शे० ॥ विमलाचल जिन पूजीया ए, हुई ते हरष अपार तो ॥ शे० ॥ १५ ॥ नवए करे जे जिन जावशुं ए, नावे ते संसार तो ॥ शे० ॥ रुषन जिन पूजा करी ए, संघ पोहतो ते गिरनार तो ॥ शे० ॥ १६ ॥ गिरनारे नेमि जिन पूजीया ए, सफल कीधो अवतार तो ॥ शे० ॥ सामी बार यात्रा एणी परे ए ए सह प्रबंधमां अधिकार तो ॥ शे० ॥ १७ ॥ गुरुवचने विमलाले ए, मंत्रीश्वर कीधी यात्र तो
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