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________________ () मेरु समान, दाने गुरुजी दीए बहु मान ॥ देव दानव दाने वश थाय, विरह व्याधि वैरी सब जाय ॥५॥ दाने रोग सोग पूर पलाय, दाने अग्नि पण जल थाय ॥ दाने माने मोटा राय, मयगल सिंह पन्नग दूर थाय ॥६॥ अष्ट ने प्रनवे न कहीं कदा, सकल सिकि ते थाये सदा ॥ दान दी जग सहु नर नार, जेहथी लहीए नवनो पार ॥७॥ हवे एक दिन मंत्री राजा वली, बेठा उत्रीशे राजकुली ॥ शेठ सेनापति बहु प्रधान, बेग वस्तग तेजपाल निधान ॥७॥ ॥दोहा॥ ॥ विनय करी राजा विनवे, सकल प्रधान शिरदार ॥ आण वहो सहु वस्तपालनी, श्म कहे राय उदार ॥१॥सावराज मंत्री तणो, न करे किस्यो अन्याय ॥न्याय घंटा वजमावतो, प्रणमे देव गुरु पाय ॥२॥ चतुरपणे मंत्री चिंतवे, ए संसार असार॥धर्मकरणी मंत्री करे, सुणजो ते अधिकार ॥३॥ एणे समे गुरु आवीया, माणकनप्रसूरिराय ॥ बहु आडंबर मंत्री करे, हरिजन पाट कहेवाय ॥ ४ ॥ चतुर चोमासुं त्यां रह्या, धवलकपुर मकार ॥ पंच Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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