SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (५५) मूरी ॥ १३॥ राणा सुनट हता महाबलीया, ते रंग मुंग रणनूमे ढलीया ॥ रुधिरनदी दीसे विकराला, राणा सुनट थया विसराला ॥ १४ ॥ तब रणअंगणथी राणो नागे, मंत्री दल तसु पूंठे लागे॥ त्रागे राणो गढमां पेगे, मंत्रीश्वर गढ घेरी बेगे ॥१५॥ तब राणो वष्टि ले पेठगे, कहे चीतोम गढ तुम्ह चरणा देगे ॥ तब मंत्री कहे तुं सुण रे राणा, खंधे कोथलो मांहि हींग धाणा ॥ १६ ॥ एणी रीते जो मुजने नमतो, तो हुँ तुज गेडं जीवतो ॥ आव्या लाट विच मांहि जेह, मंत्री वचन करी पाय लगाड्यो तेह ॥ १७॥ गयवर हयवर रथपायक दल, रूप सुवर्ण ये मणि मुक्ताफल ॥ मंत्रीने वस्तु आपे अनेक, राणे आण मानी ते बेक ॥ १७॥ ॥दोहा॥ ॥राणो पाय लगामी, वीरधवलनी मानी आण॥ मंत्री पायदल बेश पाडगे फिरे, गुरजर देश आवे सुजाण ॥१॥ सकल देश शिरोमणि, गुरजर देश विशेष ॥ राजनगरनो राय वश करी, पडे मंत्री जाय निज देश ॥२॥ राजलोक सहु हरखीया, प्रधान आव्या सुखकार ॥ ढोल निशाण वजमावीयां, हुर्ड Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003691
Book TitleVastupal Tejpal no Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1920
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy